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पंजाब सिक्ख समुदाय के लोगों का राज्य था। सिक्खो को सम्प्रदाय के रूप में गुरु नानक ने संगठित किया था ये सिक्खो के प्रथम गुरु माने जाते हैं|
10 वें तथा अन्तिम गुरु गोविन्द सिंह थे। सिक्खो को एक लड़ाकू जाति के रूप में संगठित करने का श्रेय गुरु गोविंदसिंह को जाता है। इनकी पहचान एक राजनीतिक शक्ति के रूप में हुई|
1708 मे गुरु गोविन्द सिंह की हत्या होने के बाद सिक्खो की बागडोर बंदा बहादुर ने संभाली।
अंततः फर्रुखशियर ने 1715 ई० में पकड़वाकर उनकी हत्या करवा दी। इसके बाद सिंह कई मिसलो के रूप में संगठित रहे। इनमें 12 मिसले मुख्य थे।
रणजीत सिंह का जन्म 2 नवम्बर 1780 को सुकरचकिया मिसल के मुखिया महासिंह के घर हुआ |
- 1798 में जमानशाह ने पंजाब पर आक्रमण किया। वापस जाते समय उसकी तोपें चिनाब नदी में गिर गयी। रणजीत सिंह ने तोपों को निकलवाकर वापस भिजवा दिया। उस सेवा के बदले जमानशाह ने लाहौर पर अधिकार करने की अनुमति दे दी।
1799 में रणजीत सिंह ने तत्काल लाहौर पर अधिकार कर लिया गया उसे अपनी राजधानी बनाया। रणजीत सिंह 1805 में अमृतसर को भंगी मिसल से छीन लिया। तत्पश्चात् पंजाब की राजनैतिक राजधानी (लाहौर) और धार्मिक राजधानी अमृतसर दोनों ही उसके अधीन उसके अधीन आ गयी ।
*अमृतसर सन्धि - 25 अप्रैल 1809-* महाराजा रणजीत सिंह और अंग्रेजों के बीच एक संधि हुई। संधि का तात्कालिक प्रभाव यह हुआ कि रणजीत सिंह का सतलज पार सिक्ख राजाओं के ऊपर प्रभुत्व जमाने का स्वप्न टूट गया, परन्तु दूसरी ओर पश्चिम दिशा में प्रसार करने की खुली छूट मिल गई।
पंजाब के ब्रिटिश साम्राज्य विलय के बाद लाई उलहौजी ने 1849 में पंजाब पर शासन करने के लिए तीन लोगों की एक परिषद का गठन किया था , जिसमें सर हेनरी लारेन्स को अध्यक्ष तथा जॉन लॉरेन्स और चालर्स ग्रेविल मानसेल को सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया था |
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