उत्तर प्रदेश के प्रमुख अनुसंधान संस्थान | Research Institutes in Uttar Pradesh (2025)

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  उत्तर प्रदेश में स्थित प्रमुख अनुसंधान संस्थान | Research Institutes in Uttar Pradesh उत्तर प्रदेश में स्थित प्रमुख अनुसंधान संस्थान भारत का सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश शिक्षा, विज्ञान और अनुसंधान के क्षेत्र में निरंतर प्रगति कर रहा है। इस राज्य में कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के अनुसंधान संस्थान कार्यरत हैं, जो विज्ञान, प्रौद्योगिकी, कृषि, पर्यावरण और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। 1. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर (IIT Kanpur) स्थापना: 1959 | स्थान: कानपुर IIT कानपुर उत्तर प्रदेश का सबसे प्रसिद्ध तकनीकी संस्थान है। यह इंजीनियरिंग, विज्ञान, और अनुसंधान के क्षेत्र में अग्रणी है। यहाँ उच्च स्तरीय प्रयोगशालाएँ, रिसर्च प्रोजेक्ट्स और नवाचार केंद्र मौजूद हैं। प्रमुख क्षेत्र: इंजीनियरिंग, कंप्यूटर साइंस, पर्यावरण तकनीक योगदान: टेक्नोलॉजी इनक्यूबेशन सेंटर और स्टार्टअप विकास 2. सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टिट्यूट (CDRI), लखनऊ स्थापना: 1951 | स्थान: लखनऊ यह संस्थान औषधि अनुसंधान में भारत के सबसे ...

प्लासी का युद्ध

 *प्लासी का युद्ध* -

प्लासी का युद्ध 23 जून 1757 ई. को अंग्रेजों के सेनापति राबर्ट क्लाइव एवं बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला के बीच हुआ। इस युद्ध में नवाब के सेनापति मीरजाफर और रायदुर्लभ की धोखाधड़ी के कारण पराजित हुआ। 29 जून 1757 को क्लाइव ने मीरजाफर को बंगाल का नवाब बना दिया।


 *मीरजाफर - 1757-60* - मीरजाफर ने गद्दी पर बैठते ही 24 परगना की जमींदारी प्रदान की। कम्पनी को 50 लाख का नजराना दिया, अंग्रेजों द्वारा मीरजाफर से धन की मांग दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही थी। मीरजाफर इन मांगों को पूरा का में असमर्थ हो गया, अंग्रेजों ने मीरजाफर के दामाद मीर कासिम को सितम्बर 1760 में नवाब बना दिया। इस घटना को 1760 की अगस्त क्रांति भी कहा जाता है।


मीरकासिम - 1760-63- अलीवर्दी खां के बाद मीरकासिम सबसे योग्य नवाब था। नवाब बनते ही वह अपनी राजधानी मुर्शिदाबाद से मुंगेर ले गया। धीरे - धीरे अंग्रेजों और नवाब के बीच झगड़े बढ़ गये। जून 1763 में मेजर ऐडम्स अंग्रेजों की तरफ से नवाब  से युद्ध करने पहुंचा , परिणाम स्वरूप मीरकासिम बंगाल छोड़कर बिहार भाग गया, जुलाई 1763 में अंग्रेजों ने पुनः मीरजाफर को नवाब बना दिया |


बक्सर का युद्ध -

 22 अक्टूबर 1764 ई. मीरकासिम बिहार से भागकर अवध के नवाब शुजाउद्दौला के पास गया। उस समय मुगल सम्राट शाहआलम भी अवध में था। मीरकासिम द्वारा लाये गये खजाने और बिहार प्रांत की प्राप्ति का स्वप्न देख रहा था । फलस्वरूप वह मीरकासिम के पक्ष में अंग्रेजों से लड़ने को तैयार हो गया। इस प्रकार अवध के नवाब शुजाउद्दौला, मुगल बादशाह शाहआलम द्वितीय तथा मीर कासिम एक ओर थे और दूसरी तरफ अंग्रेज थे। अंग्रेजी सेना का नेतृत्व मेजर मुनरो ने किया तथा अंग्रेज विजयी रहे। इस युद्ध का राजनीतिक महत्व इस बात में है कि अंग्रेजों को बंगाल, बिहार तथा उड़ीसा की दीवानी मिली तथा अंग्रेजों के लिए आगे के प्रदेश पर अधिकार करने का रास्ता खुल गया, इस युद्ध के बाद अंग्रेजों ने इलाहाबाद की संधि की| 


 *इलाहाबाद की संधि-* 12 अगस्त 1765 को अपने फरमान द्वारा मुगल बादशाह शाहआलम द्वितीय ने कंपनी को बंगाल ,बिहार तथा उड़ीसा की दीवानी स्थायी रूप से दे दी। इस समय रॉबर्ट क्लाइव बंगाल का गवर्नर था। राबर्ट क्लाइव को ब्रिटिश साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक एवं स्वर्ग से उतरा भी कहते है।

 *अम्बर का युद्ध* - अगस्त 1749 मुजफ्फरजंग, चंदा साहब तथा फ्रांसीसियों की संयुक्त सेवाओं ने वेल्लूर के समीप अम्बर नामक स्थान पर अनवरुद्‌दीन को पराजित करके हत्या कर दी थी।


 *वांडीवाश का युद्ध 1760* - अंग्रेजों तथा फ्रांसीसियों के मध्य युद्ध में फ्रांसीसी पराजित हुए। अंग्रेजी सेना का नेतृत्व सर आयरकूट जबकि फ्रांसीसी सेना का नेतृत्व काउण्ट डी लाली ने किया था।

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