गवर्नर जनरल लार्ड कार्नवालिस
लार्ड कार्नवालिस-1786 से 1793
भारत में न्यायिक संगठन की स्थापना लार्ड कार्नवालिस ने की थी
सर्वप्रथम अपने न्यायिक सुधारों के अन्तर्गत कार्नवालिस ने जिले की समस्त शक्ति कलेक्टर के हाथों में केन्द्रित कर दी|
1790-92 के बीच भारतीय न्यायधीशों से युक्त जिला फौजदारी अदालतो को समाप्त कर उसके स्थान पर चार भ्रमण करने वाले न्यायालय - तीन बंगाल में और एक बिहार के लिए किए गए।
लार्ड कार्नवालिस ने अपने न्यायिक सुधारों को 1793 तक अन्तिम रूप देकर उन्हें कार्नवालिस संहिता के रूप में प्रस्तुत किया । यह सुधार प्रसिद्ध सिद्धान्त शक्ति के पृथक्करण पर आधारित था उसने कर तथा न्याय प्रशासन को पृथक कर दिया। जो आगे चलकर भारतीय सिविल सेवा का रूप लिया। इसीलिए भारतीय नागरिक सेवा का जनक कार्नवालिस को कहते हैं।
स्थायी बन्दोबस्त. Permanunt Setlment कार्नवालिस इस व्यवस्था के लिए उसने सबसे पहले अपने दो अंग्रेज अधिकारियों से मशविरा किया जिसमें राजस्व बोर्ड के अध्यक्ष सर जॉन शोर तथा रिकार्ड कीपर जेम्स ग्रांट शामिल थे। इसके अनुसार जमीनदारों को भूमि का स्वामी माना गया वह उसी बेच सकता था, गिरवी रख सकता था बपौती के रूप में दे सकता था। इसे 1793 में लागू किया गया जिसके तहत जमींदारों को अब भूराजस्व का लगभग 90% (भाग) कम्पनी को तथा 10% भाग अपने पा रखना था। इसे इस्तमरारी बंदोबस्त कहते है।
Note- कार्नवालिस की मृत्यु 5 अक्टूबर 1805 को गाजीपुर उ० प्र० में हुई थी यहीं पर इसकी कब्र स्थित है।
सर जाॕन शोर -1793 से 1798
- सर जॉन शोर ने आ हस्तक्षेप की नीति अपनाई
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