भारत में स्वायत्त राज्यों का उदय

 

स्वायत्त राज्यों का अभ्युदय

  •  मुगलो की सत्ता क्षीण हो जाने पर कई स्वायत्त राज्यों का गठन हो चुका था। बंगाल में मुर्शीद कुली खां  ने अपनी स्वतंत्र सत्ता स्थापित कर ली थी यद्यपि वह नियमित रूप से मुगलों को राजस्व भेजता था लेकिन अली वर्दी खां के समय से राजस्व देना भी बंद हो गया । 1723 ई. में चिनकिलिच खां ने हैदराबाद में अपनी स्वतन्त्र सत्ता स्थापित कर ली थी। मैसूर मे हैदर अली तथा पंजाब में रणजीत सिंह ने अपना स्वतन्त्र कर लिया था।
ईस्ट इण्डिया कम्पनी और बंगाल के नवाब सिराजुद्‌द्दौला-1756-57 :-अलीवर्दी खां की मृत्यु के बाद उसका पोता सिराजुद्दौला का नवाब बना। उस समय अंग्रेज सिराजुद्दौला बंगाल की किलेबन्दी कर रहे थे, जो नवाब को पसन्द नही था | 4 जून 1756 को नवाब ने कासिम बाजार अंग्रेजों की कोठी पर कब्जा कर लिया तथा 20 जून 1756 को कलकत्ता किले पर कब्जा कर लिया। सिराजुद्‌दौला ने कलकत्ता की सुरक्षा का दायित्व अपने सेनापति मानिकचंद को सौप वापस मुर्शिदाबाद लौट आया | 
             अंग्रेजों ने जनवरी 1757 ई. को कलकत्ता पर अधिकार कर लिया। इसके लिए अंग्रेजों ने कलकत्ता के प्रभारी मानिकचंद को घूस दे दिया था। इस परिस्थिति में सिराजुद्‌दौला ने अंग्रेजों से 9 फरवरी 1757 को अलीनगर की संधि  कर ली। इस संधि के फर्रुखशियर द्वारा 1717 ई. में दिये गये फरमान के अधिकार अंग्रेजों को पुनः प्राप्त हो गया ।
सिराजुद्‌द्दौला ने अंग्रेजों को 3 लाख रूपये की क्षतिपूर्ति दी।

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