उत्तर प्रदेश के प्रमुख अनुसंधान संस्थान | Research Institutes in Uttar Pradesh (2025)

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  उत्तर प्रदेश में स्थित प्रमुख अनुसंधान संस्थान | Research Institutes in Uttar Pradesh उत्तर प्रदेश में स्थित प्रमुख अनुसंधान संस्थान भारत का सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश शिक्षा, विज्ञान और अनुसंधान के क्षेत्र में निरंतर प्रगति कर रहा है। इस राज्य में कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के अनुसंधान संस्थान कार्यरत हैं, जो विज्ञान, प्रौद्योगिकी, कृषि, पर्यावरण और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। 1. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर (IIT Kanpur) स्थापना: 1959 | स्थान: कानपुर IIT कानपुर उत्तर प्रदेश का सबसे प्रसिद्ध तकनीकी संस्थान है। यह इंजीनियरिंग, विज्ञान, और अनुसंधान के क्षेत्र में अग्रणी है। यहाँ उच्च स्तरीय प्रयोगशालाएँ, रिसर्च प्रोजेक्ट्स और नवाचार केंद्र मौजूद हैं। प्रमुख क्षेत्र: इंजीनियरिंग, कंप्यूटर साइंस, पर्यावरण तकनीक योगदान: टेक्नोलॉजी इनक्यूबेशन सेंटर और स्टार्टअप विकास 2. सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टिट्यूट (CDRI), लखनऊ स्थापना: 1951 | स्थान: लखनऊ यह संस्थान औषधि अनुसंधान में भारत के सबसे ...

कर्नाटक का युद्ध

                             कर्नाटक

  • जिस प्रकार से हैदराबाद मुगल साम्राज्य से लगभग स्वायत्त हो चुका था उसी प्रकार कर्नाटक हैदराबाद से लगभग स्वायत्त स्थिति में आ चुका था किन्तु कर्नाटक में ब्रिटिश और फ्रांसीसी दोनों ही कंपनियाँ अपने- अपने राजनीतिक वर्चस्व की चेष्टा करने लगी। इसी कारण कर्नाटक में तीन युद्ध हुए अन्त में सफलता ब्रिटिश कंपनी को मिली


 *कर्नाटक का प्रथम युद्ध 1746-48*

  •  1740 के दौरान आस्ट्रिया में जो उत्तराधिकार युद्ध के दौरान ब्रिटेन तथा फ्रांस आमने सामने थे उसी का परिणाम कर्नाटक प्रथम युद्ध था। 

भारत का फ्रेंच गवर्नर जनरल डुप्ले ने 21 सितम्बर 1746 में मद्रास को आत्मसमर्पण करने से मजबूर कर दिया। इन युद्ध बन्दियों में क्लाइव भी शामिल था। 

 *एलाशापेल की सन्धि* 1748 आस्ट्रिया का युद्ध समाप्त हो गया।


 *कर्नाटक का द्वितीय युद्ध - 1749-54* इस युद्ध का प्रधान कारण था प्रथम युद्ध के बाद से डुप्ले की राजनीतिक महत्वाकांक्षा का जाग उलेकिन प्रत्यक्ष संघर्ष का कारण हैदराबाद तथा कर्नाटक के उत्तराधिकार को लेकर हुआ। डुप्ले ने हैदराबाद तथा कर्नाटक के लिए क्रमश: मुज्जफर जंग तथा चन्दा साहब का समर्थन किया जबकि अंग्रेजों ने क्रमशः नासिर जंग तथा अनवरूद्दीन का समर्थन किया था। प्रारम्भिक जंग में दोनों अंग्रेज समर्पित मारे गये | 1752 में स्ट्रिंगर लारेंस के नेतृत्व में एक अंग्रेजी सेना ने फ्रांसीसी सेनाओं से हथियार डलवा दिये इसी समय चन्दासाहब की हत्या हो गयी। डूप्ले को वापस बुला लिया गया | नये गवर्नर गोडेहू के समय दोनों कंपनियों के मध्य एक अस्थायी सन्धि हो गयी। 

 *तृतीय कर्नाटक युद्ध 1756-63* इस युद्ध में फ्रांसीसियों की बुरी तरह हार हुई । अंग्रेजों ने पेरिस की संधि के तहत पांडिचेरी व माहे को वापस कर दिया ।

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