How to Indian Home Rule Society was established ? | इंडियन होम रूल सोसायटी | How was the Ghadar Party founded? | गदर पार्टी | What is the Kamagatamaru episode?
इंडियन होम रूल सोसायटी-
18 फरवरी 1905 में लंदन में श्याम कृष्ण वर्मा ने इंडियन होम रूल सोसायटी की स्थापना की , जिसे इंडिया हाउस के नाम से जाना जाने लगा | इसका समर्थन भीकाजी कामा, दादा भाई नौरोजी , एस०आर०राना ने किया | इस संस्था का उद्देश्य अंग्रेजी सरकार को आतंकित कर स्वराज्य की प्राप्ति करना था | यहां एक समाचार पत्र पत्र सोशियोलॉजिस्ट का प्रकाशन भी आरंभ किया | लंदन में सरकारी तंत्र के विशेष सक्रिय होने के कारण श्याम जी वहां से पेरिस और अंतत: जिनेवा चले गए |
गदर पार्टी-
गदर पार्टी की स्थापना 25 जून 1913 को अमेरिका और कनाडा के भारतीयों ने मिलकर बनाया| इसे प्रशांत तट का हिंदी संघ Hindi Association or Pacific Coast भी कहा जाता था | यह पार्टी हिंदुस्तान ग़दर नामक पत्रिका उर्दू और पंजाबी में निकालती थी | बाद में इसी पत्रिका के नाम पर इस पार्टी का नाम गदर पार्टी रख दिया गया |
इसके संस्थापक अध्यक्ष सोहन सिंह भकना थे , इसके अतिरिक्त उपाध्यक्ष केसर सिंह थथगढ़ , महामंत्री लाला हरदयाल थे | इस पार्टी का मुख्यालय सैन फ्रांसिस्को के एस्टोरिया में था | लाला हरदयाल इस संस्था के मनिषी पथ प्रदर्शक थे | पार्टी के सदस्यों में रामचंद्र, बरकतुल्ला, रासबिहारी बोस , राजा महेंद्र प्रताप, मैडम भीकाजी कामा, करतार सिंह सराभा तथा पंडित काशीराम( कोषाध्यक्ष )प्रमुख थे |
गदर के नेताओं ने निर्णय लिया कि अब वह समय आ गया है कि हम ब्रिटिश सरकार के खिलाफ उसकी सेना में संगठित विद्रोह कर सकते हैं | इसके लिए पंजाब की सिंह रेजीमेंट को चुना गया | करतार सिंह सराभा के नेतृत्व में विद्रोह होना तय हुआ , लेकिन सरकार ने सबको पहले ही गिरफ्तार कर लिए 16 नवंबर 1915 को करतार सिंह को लाहौर जेल में फांसी दे दी गई |इस घटना को प्रथम लाहौर षड्यंत्र कांड भी कहते हैं|
स्वदेशी आंदोलन के निष्क्रिय होने के बाद से भारतीय राष्ट्रवाद के प्रहरी भी निष्क्रिय हो गए थे | 1914 में अचानक छिड़े प्रथम विश्व युध्द ने भारतीय राष्ट्रीयता के प्रहरियो को झकझोरा |
उस समय है यह धारणा प्रचलित थी कि ब्रिटेन पर किसी तरह का संकट भारत के हित में है , उनके लिए यह एक मौका है | गदर क्रांतिकारियों ने सशस्त्र संघर्ष के माध्यम से अंग्रेजी हुकूमत को उखाड़ फेंकने का प्रयास किया | राजा महेंद्र प्रताप ने अपने सहयोगी बरकतुल्ला के साथ प्रथम महायुद्ध के दौरान 1915 में काबुल (अफगानिस्तान) में भारत की प्रथम अस्थाई सरकार का गठन किया था | इसमें राजा महेंद्र प्रताप सिंह राष्ट्रपति तथा बरकतउल्ला प्रधानमंत्री थे इसे जर्मनी तथा रूस ने मान्यता भी दी थी |
What is the Kamagatamaru episode?
कामागाटामारू प्रकरण-
कामागाटामारू भाप शक्ति से चलने वाला एक जापानी समुद्री जहाज था, जिससे हांगकांग में रहने वाले बाबा गुरदीप सिंह ने किराए पर लिया था | जहाज पर 376 लोगों को बैठाकर 4 मार्च 1914 को बैंकूवरय( ब्रिटिश कोलंबिया ) कनाडा के लिए रवाना हुआ |
उस समय नौ परिवहन इतना विकसित नहीं हुआ था कि किसी एक नौका से इतनी दूर की यात्रा बगैर किसी पड़ाव की की जा सके, परंतु कनाडा के उच्चतम न्यायालय ने अपने एक निर्णय के अंतर्गत ऐसे 35 भारतीयों को देश में घुसने का अधिकार दे दिया जो सीधे भारत से नहीं आए थे | इसी निर्णय से उत्साहित होकर भारत के गुरदीप सिंह (हांगकांग में रहने वाले) कामागाटामारू जहाज लेकर कनाडा की तरफ प्रस्थान किया | 30 मई को वहां पहुंचे लेकिन अंग्रेजों ने सिर्फ 24 को उतारा और बाकी को जबरदस्ती वापस भेज दिया | इस जहाज में 340 सिख 24 मुसलमान और 12 हिंदू सवार थे |
जहाज कोलकाता के बजबज घाट पर पहुंचा , तो 27 सितंबर 1914 को अंग्रेजों ने फायरिंग शुरू कर दी, इसमें 19 लोगों की मौके पर मौत हो गई तथा 202 लोगों को जेल में डाल दिया |
तटीय समिति- यात्रियों के अधिकार के लिए लड़ाई लड़ने हेतु हुसैन रहीम, सोहनलाल पाठक एवं बलवंत सिंह ने शोर कमेटी ( तटीय समिति )की स्थापना की | अमेरिका में रह रहे भारतीयों भगवान सिंह , बरकतुल्ला और सोहन सिंह ने भी यात्रियों के समर्थन में आंदोलन चलाया |
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