उत्तर प्रदेश के प्रमुख अनुसंधान संस्थान | Research Institutes in Uttar Pradesh (2025)

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  उत्तर प्रदेश में स्थित प्रमुख अनुसंधान संस्थान | Research Institutes in Uttar Pradesh उत्तर प्रदेश में स्थित प्रमुख अनुसंधान संस्थान भारत का सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश शिक्षा, विज्ञान और अनुसंधान के क्षेत्र में निरंतर प्रगति कर रहा है। इस राज्य में कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के अनुसंधान संस्थान कार्यरत हैं, जो विज्ञान, प्रौद्योगिकी, कृषि, पर्यावरण और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। 1. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर (IIT Kanpur) स्थापना: 1959 | स्थान: कानपुर IIT कानपुर उत्तर प्रदेश का सबसे प्रसिद्ध तकनीकी संस्थान है। यह इंजीनियरिंग, विज्ञान, और अनुसंधान के क्षेत्र में अग्रणी है। यहाँ उच्च स्तरीय प्रयोगशालाएँ, रिसर्च प्रोजेक्ट्स और नवाचार केंद्र मौजूद हैं। प्रमुख क्षेत्र: इंजीनियरिंग, कंप्यूटर साइंस, पर्यावरण तकनीक योगदान: टेक्नोलॉजी इनक्यूबेशन सेंटर और स्टार्टअप विकास 2. सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टिट्यूट (CDRI), लखनऊ स्थापना: 1951 | स्थान: लखनऊ यह संस्थान औषधि अनुसंधान में भारत के सबसे ...

Jallianwala Bagh Massacre: What Happened on 13 April 1919?| जलियांवाला बाग हत्याकांड

Jallianwala Bagh Massacre:  What Happened on 13 April 1919?


जलियांवाला बाग हत्याकांड-

अखिल भारतीय राजनीति में गांधीजी का पहला साहसिक कदम रौलट एक्ट के विरुद्ध 1919 में प्रारंभ सत्याग्रह था | गांधी जी ने रौलट एक्ट सत्याग्रह के लिए तीन राजनीतिक मंचों का उपयोग किया था - होमरूल लीग , खिलाफत एवं सत्याग्रह सभा |  दमन की इसी दौर में अमृतसर में सामूहिक हत्या की एक नृशंस घटना हुई 10 अप्रैल 1919 को दो राष्ट्रवादी नेता सत्यपाल और सैफुद्दीन किचलू  गिरफ्तार कर लिए गए |
        13 अप्रैल 1919 को अमृतसर में जलियांवाला बाग  में उन दोनों नेताओं की गिरफ्तारी पर विरोध प्रकट करने के लिए जनता एकत्रित हुई |  सभा शांतिपूर्ण थी |  सभा में काफी संख्या में वृद्ध पुरुष,  स्त्रियों और बच्चे भी थे | तभी अचानक ब्रिटिश अफसर माइकल ओडायर (तत्कालीन लेफ्टिनेंट-गवर्नर) अपने सैनिकों को लेकर पार्क में पहुंचा |  बिना चेतावनी दिए ही सैनिकों को गोली चलाने का आदेश दे दिया | उसके सैनिक 10 मिनट तक गोली चलाते रहे और जब गोली खत्म हो गई तो वह वहां से चले गए |


हंटर आयोग-

13 अप्रैल 1919 को घटित घटना जलिया वाला नरसंहार को मांटेग्यू (तत्कालीन भारत सचिव) ने इसे 'निवारक हत्या' की संज्ञा दी | सरकार ने इसकी जांच के लिए 14 अक्टूबर 1919 को एक जांच कमेटी बैठाई , जिसके अध्यक्ष जी०सी० हंटर थे,  इस कारण इसे हंटर जांच कमेटी भी कहते हैं | इसमें भारतीय सदस्य चमनलाल सीतलवाड़ , पंडित जगत नारायण और साहबजादा सुल्तान अहमद खां थे | हंटर कमेटी ने अपनी जांच रिपोर्ट मार्च 1920 में सौंपी | इस कमेटी ने सरकार का ही पक्ष लिया लेकिन फिर भी अपनी रिपोर्ट में जनरल डायर को दोषी ठहराया  था,  जिसके परिणाम स्वरूप डायर को सेना की नौकरी से निकाल दिया गया |  ब्रिटिश अखबारों ने उसे "ब्रिटिश साम्राज्य का रक्षक" एवं ब्रिटिश लार्ड सभा ने उसे "ब्रिटिश साम्राज्य का शेर" कहा | सरकार ने उसकी सेवाओं के लिए "मान की तलवार" की उपाधि दी |
 दीनबंधु सी०एफ० एंड्रयूज ने इस हत्याकांड को जानबूझकर की गई क्रूर हत्या कहा था |
              मार्च 1940 में पंजाब के क्रांतिकारी नेता उधम सिंह ने जलियांवाला बाग के नरसंहार का बदला लेने के लिए इस हत्याकांड के समय पंजाब के लेफ्टिनेंट जनरल रहे सर माइकल ओ डायर की लंदन में हत्या कर दी थी , जिसके लिए उन्हें गिरफ्तार कर मृत्युदंड दे दिया गया |
              

 पंजाब जांच समिति-

हंटर आयोग के गठन के बावजूद कांग्रेस ने अपनी जांच समिति बैठाई थी , जिसके अध्यक्ष पंडित मदन मोहन मालवीय तथा अन्य सदस्य महात्मा गांधी , मोतीलाल नेहरू , जवाहरलाल नेहरू , सी०आर०दास , अब्बास तैयब जी तथा डॉक्टर एम०आर०जयकर थे |  इस समिति ने अपनी रिपोर्ट में पूर्ण रूप से सरकार को दोषी ठहराया था |  एक अनुमान के अनुसार उस 10 मिनट में करीब 1000 आदमी मर गए और करीब 2000 जख्मी हुए | 
        अगस्त 1919 में अमृतसर में कांग्रेस का अधिवेशन  हुआ , जिसकी अध्यक्षता पंडित मोतीलाल नेहरू  ने किया |  इसमें लोग,  किसान भी बड़ी संख्या में शामिल हुए | स्पष्ट था कि ब्रिटिश सरकार के अत्याचारों ने आग में घी डालने का काम किया | आजादी के लिए और दमन के खिलाफ लड़ने के लिए लोगों ने कमर कस ली |

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