सामाजिक और धार्मिक सुधार आंदोलन|राजा राममोहन राय|देवेंद्र नाथ टैगोर|केशव चंद्र सेन|samajik aandolan|
सामाजिक और धार्मिक सुधार आंदोलन
19वीं शताब्दी के धार्मिक एवं सामाजिक सुधार आंदोलन का भारत के आधुनिक इतिहास में विशेष स्थान है, इस आंदोलन से बुद्धिजीवियों एवं मध्यम ,नगरीय, उच्च जातियं एवं उदार रजवाड़े प्रभावित रहे|
राजा राममोहन राय-
राजा राममोहन राय प्रथम भारतीय थे जिन्होंने सबसे पहले भारतीय समाज में व्याप्त बुराइयों के विरोध में आंदोलन चलाया | राजा राममोहन राय के नवीन विचारों के कारण 19वीं शताब्दी के भारत में पुनर्जागरण का उदय हुआ|
राजा राममोहन राय को" भारतीय पुनर्जागरण का पिता ", "भारतीय राष्ट्रवाद का पैगंबर", "भारतीय राष्ट्रवाद का जनक" , "आधुनिक भारत का पिता" तथा "युगदूत" कहा गया |
- सती प्रथा पर प्रतिबंध राजा राममोहन राय के प्रयासों से विलियम बेंटिक ने लगाया था |
- 1814 ईसवी में राजा राममोहन राय ने कोलकाता में एक संस्था आत्मीय सभा की स्थापना की | इसका उद्देश्य सामाजिक एवं धार्मिक कुरीतियों पर प्रहार करना था|
- 1803 ईसवी में राजा राममोहन राय ने तुहफत-अलमुवाहिदीन नामक पुस्तक फारसी में लिखी थी उन्होंने इसकी भूमिका अरबी भाषा में लिखी थी इसमें उन्होंने मूर्ति पूजा का विरोध करते हुए तमाम तर्क दिए और एकेश्वरवाद का समर्थन किया|
- 1814 में स्थापित आत्मीय सभा का विस्तार करते हुए 20 अगस्त 1828 को ब्रह्म सभा का गठन किया, यही ब्रह्म सभा 1829 में ब्रह्म समाज में परिवर्तित हो गया |
देवेंद्र नाथ टैगोर-
1836 में देवेंद्र नाथ टैगोर ब्रह्म समाज के सदस्य बने ,1843 ईसवी में समाज के प्रमुख बने और धार्मिक प्रश्नों पर विचार करने के लिए तत्वबोधिनी सभा की स्थापना की ,यही सभा तत्वबोधिनी नामक एक पत्रिका भी निकलवाती थी जिसके संपादक अक्षय कुमार दत्त थे |
केशव चंद्र सेन-
1857 मे केशव चंद्र सेन ब्रह्म समाज में शामिल हो गए ,1860 में समाज कार्यक्रमों के प्रचार के लिए संगत सभा की स्थापना की|
केशव चंद्र सेन प्रगतिशील विचारधारा के थे , इस कारण वे अंतरजातीय विवाह ,पर्दा प्रथा की उन्मूलन, विधवा विवाह इत्यादि को समाज के कार्यक्रमों में शामिल करना चाहते थे| देवेंद्र नाथ टैगोर इनके खिलाफ थे इसी मुद्दे पर पहली फूट 1866 में पड़ गई |
केशव चंद्रसेन एक नई संस्था द ब्रह्म समाज आफ इंडिया (भारतीय ब्रह्म समाज ) तथा देवेंद्र नाथ टैगोर वाला गुट अब आदि ब्रह्म समाज के नाम से जाना जाने लगा|
- भारतीय ब्रह्म समाज के अध्यक्ष केशव चंद्र सेन हुए, तथा आदि ब्रह्म समाज के अध्यक्ष राज नारायण बोस हुए |
केशव चंद्र सेन के प्रयत्नों से ब्रह्म समाज का विचार खूब फैला | इन्हीं के प्रयत्नों से ब्रिटिश सरकार ने 1872 में सिविल मैरिज एक्ट प्रयास किया, इस एक्ट में ब्रह्म विवाहों को मान्यता दी गई अर्थात इसके अनुसार यह घोषित करना पड़ा था कि मैं ना हिंदू हूं, ना मुसलमान हूं ,और न ईसाई हूं |विवाह के लिए वर की न्यूनतम आयु 16 वर्ष तथा कन्या की न्यूनतम आयु 14 वर्ष रखी गई |इसलिए इस एक्ट को ब्रह्म विवाह एक्ट भी कहते हैं |
- इंडियन रिफॉर्म एसोसिएशन की स्थापना 1870 में केशव चंद्र सेन ने किया |
- केशव चंद्र सेन ने शुभ समाचार नाम से एक समाचार पत्र का शुरू किया|
- केशव चंद्र सेन के कारण ही भारतीय ब्रह्म समाज में एक फूट 1878 ई० में पड़ गई, इसका कारण यह था कि केशव चंद्र सेन ने अपनी 12 वर्षीय पुत्री का विवाह कूचबिहार के रियासत के राजकुमार के साथ कर दिया और लोगों में यह प्रचारित किया कि यह ईश्वर की इच्छा है|
इस कारण से भारतीय ब्रह्म समाज दो गुट में हो गया -
1) साधारण ब्रह्म समाज (1878)- साधारण ब्रह्म समाज के अध्यक्ष आनंद मोहन बोस हुए|
2) नव विधान (1878)- नव विधान के अध्यक्ष केशव चंद्र सेन हुए|
- इंडियन मिरर पत्रिका- इंडियन मिरर पत्रिका केशव चंद्र सेन के द्वारा निकाला गया |
- यंग बंगाल आंदोलन- यंग बंगाल आंदोलन के प्रणेता हेनरी विवियन डिरोजियो थे|
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