What is Kakori case?
When did the Kakori incident happen?
काकोरी कांड-
शचींद्रनाथ सान्याल व योगेंद्र नाथ चटर्जी, हिंदुस्तान प्रजातंत्र संघ( HRA) की ओर से प्रकाशित इश्तहार और उसके संविधान को लेकर बंगाल पहुंचे| वहां पर दोनों को गिरफ्तार कर लिया जाता है और हजारीबाग जेल में बंद कर दिया गया |
दोनों प्रमुख नेताओं की गिरफ्तारी के बाद राम प्रसाद बिस्मिल के कंधों पर उत्तर प्रदेश के साथ-साथ बंगाल के क्रांतिकारी सदस्यों का उत्तरदायित्व भी आ गया|, पार्टी के कार्य ही धन की आवश्यकता के लिए 7 मार्च 1925 बिचपुरी (आगरा) तथा 24 मई द्वारका पुर में जो डकैती डाली परंतु उसमें कुछ विशेष धन हाथ ना आया |आखिरकार उन्होंने निश्चय किया कि अब केवल सरकारी खजाना लूटेंगे |
योजना अनुसार दल की एक प्रमुख सदस्य राजेंद्र नाथ लाहिड़ी ने 9 अगस्त 1925 को लखनऊ जिले के काकोरी रेलवे स्टेशन से छूटी "8 डाउन सहारनपुर -लखनऊ पैसेंजर ट्रेन" को चैन खींचकर रोका और क्रांतिकारी पंडित राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में अशफाक उल्ला खान , पंडित चंद्रशेखर आजाद व अन्य छह सहयोगियों की मदद से समूची ट्रेन पर धावा बोलते हुए सरकारी खजाना लूट लिया |इस घटना को काकोरी कांड के नाम से जाना जाता है|
इन क्रांतिकारियों के पास पिस्तौल के अतिरिक्त जर्मनी के बने चार माउजर भी थे | खजाने का बक्सा खोलने के लिए अशफाक उल्ला खान ने अपना माउजर मन्मथ नाथ गुप्ता को पकड़ा दिया और हथौड लेकर बक्सा तोड़ने में जुट गए| उत्सुकता बस मन्मथ नाथ गुप्ता ने माउजर का ट्रिगर दबा दिया, जिससे अहमद अली नाम के मुसाफिर को लग गई |वह मौके पर ही ढेर हो गया |
ब्रिटिश सरकार ने इस ट्रेन डकैती को गंभीरता से लिया और सी०आई०डी० इंस्पेक्टर तसद्दुक हुसैन के नेतृत्व में स्कॉटलैंड की सबसे तेज तर्रार पुलिस को इसकी जांच सौंपी | बाद में अंग्रेजी हुकूमत ने उनकी पार्टी HRA के कुल 40 क्रांतिकारियों पर सम्राट के विरुद्ध सशस्त्र युद्ध छेड़ने ,सरकारी खजाना लूटने व मुसाफिरों की हत्या करने का मुकदमा चलाया, जिसमें राजेंद्र नाथ लाहिड़ी, पंडित राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां तथा ठाकुर रोशन सिंह को मृत्युदंड सुनाई गई|
अशफाक उल्ला खां और सचिंद्र नाथ सान्याल को तब गिरफ्तार किया गया , जब मुख्य काकोरी षड्यंत्र केस फैसला हो चुका था, पर इन दोनों पर पूरक मुकदमा दायर किया गया | फिर अशफाक उल्ला खान को फांसी दी गई और शचींद्र नाथ सान्याल को उम्र कैद की सजा सुनाई गई|
पंडित मोतीलाल नेहरु में पंडित गोविंद बल्लभ पंत के नेतृत्व में एक बचाव समिति का गठन किया था | जिससे काकोरी कांड बचाव समिति कहा जाता है |
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