What is Rowlatt Act - 1919?

 रौलट एक्ट- 1919.  

प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद लोगों को स्वराज प्राप्त की उम्मीद थी , लेकिन जल्द ही निराशा में बदल गई | सारे देश में व्यापक असंतोष फैल गया | भारत में बढ़ रही क्रांतिकारी गतिविधियों को कुचलने के लिए सरकार ने 1917 में न्यायाधीश की सिडनी रौलट की अध्यक्षता में एक समिति गठित की ,  जिसका उद्देश्य आतंकवाद को कुचलने के लिए एक प्रभावी योजना का निर्माण करना था | इसके सुझाव पर मार्च 1919 में पारित विधेयक रौलट एक्ट के नाम से जाना गया | रौलेट अधिनियम के द्वारा अंग्रेजी सरकार जिसको चाहे जब चाहे जब तक चाहे , बिना मुकदमा चलाए जेल में बंद रख सकती है,  इसलिए इस कानून को बिना वकील , बिना अपील तथा बिना दलील  वाला कानून कहा गया |
      परिषद ने इसका विरोध किया था | कई नेताओं ने अपने इस्तीफे दे दिए | मोहम्मद अली जिन्ना ने अपने इस्तीफे में कहा था "जो सरकार शांति काल में ऐसे कानून को स्वीकार करती है वह अपने को सभ्य सरकार कहलाने का अधिकार खो बैठती है"|
               दमन के नए तरीके को काले कानूनों का नाम दिया  गया  | इस कानून के खिलाफ लड़ने के लिए महात्मा गांधी ने फरवरी 1919 में एक सत्याग्रह सभा की स्थापना मुंबई में कर चुके थे | सारे देश में 6 अप्रैल 1919 का दिन राष्ट्रीय अपमान दिवस के रूप में मनाया गया| 
 द अनार्किकल एंड रिवॉल्यूशनरी क्राइम एक्ट 1919( रौलट एक्ट ) के विरोध में स्वामी श्रद्धानंद ने लगान न देने का आंदोलन चलाने का भी सुझाव दिया था | देश भर में प्रदर्शन और हड़ताल हुई | सारे देश में व्यापार ठप पड़ गया | सरकार ने बर्बरता पूर्वक दमन शुरू किया |

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