What was the Non-Cooperation Movement?| असहयोग आंदोलन |

असहयोग आंदोलन-

28 जुलाई 1920 ईस्वी को गांधी जी ने घोषणा की थी, कि   1 अगस्त 1920 से असहयोग आंदोलन शुरू होगा |  इसके बाद गांधी जी के द्वारा इस उद्देश्य की पुष्टि कांग्रेस ने अपने विशेष अधिवेशन सितंबर 1920 कोलकाता में कर दी,  जिसकी अध्यक्षता लाला लाजपत राय ने की थी  | इसी अधिवेशन में असहयोग का विरोध सी०आर०दास व मोहम्मद अली जिन्ना  ने  किया | इसी अधिवेशन में असहयोग के कार्यक्रम का प्रस्ताव पारित किया गया , जिसमें दो अन्याय पूर्ण कार्यों के विरुद्ध असहयोग आंदोलन प्रारंभ करने का निर्णय लिया गया |
  1. खिलाफत मुद्दे के प्रति ब्रिटिश सरकार का दृष्टिकोण
  2. पंजाब की समस्या का निपटारा
                    दिसंबर 1920 कांग्रेस का अधिवेशन नागपुर में हुआ , इसकी अध्यक्षता चक्रवर्ती विजयराघवाचारी ने की थी  | इस अधिवेशन में असहयोग प्रस्ताव सी०आर०दास ने प्रस्तावित किया था | असहयोग प्रस्ताव पर व्यापक चर्चा के बाद पारित कर दिया गया तथा कांग्रेस का लक्ष्य स्वराज घोषित किया गया | इसके लिए निम्न कार्यक्रम निर्धारित किए गए |
  1. विदेशी माल का पूर्ण बहिष्कार
  2. सरकारी पदों उपाधियों का त्याग
  3. सरकारी न्यायालय कचहरी ओं इत्यादि का बहिष्कार
  4. सरकारी सहायता प्राप्त शिक्षण संस्थाओं का बहिष्कार

विदेशी माल का पूर्ण बहिष्कार- 

 गांधी जी ने विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करने को कहा |  जगह-जगह पर जनता ने विदेशी वस्तुओं की होली जलाई |  असहयोग आंदोलन के दौरान रविंद्र नाथ टैगोर ने विदेशी वस्तुओं को जलाए जाने को अविवेकी या निष्ठुर बर्बादी  कहा था | रविंद्र नाथ टैगोर ने एक पत्र के माध्यम से रचनात्मक कार्यक्रम अपनाने की सलाह दी थी | 

सरकारी पदों एवं उपाधियों का त्याग-

 जिस समय गांधी जी भारत आए (1915) , उस समय प्रथम विश्व युद्ध चल रहा था |  उन्होंने सरकार के युद्ध प्रयासों में मदद की,  जिसके लिए सरकार ने उन्हें "कैसर ए हिंद"  सम्मान दिया |  जिसे उन्होंने असहयोग आंदोलन में वापस कर दिया |  अन्य लोगों ने यथा जमनालाल बजाज ने अपनी रायबहादुर की उपाधि वापस कर दी|

सरकारी न्यायालय एवं कचहरी का बहिष्कार-

 असहयोग आंदोलन के दौरान ही मोतीलाल नेहरू,  लाला लाजपत राय , सरदार पटेल , राजेंद्र प्रसाद , जवाहरलाल नेहरु इत्यादि बहिष्कार कर आंदोलन में कूद पड़े | 

शिक्षण संस्था (सरकारी) बहिष्कार- 

असहयोग आंदोलन (1920 से 22) के दौरान काशी विद्यापीठ बनारस में 1920 में , गुजरात विद्यापीठ अहमदाबाद में 1920 में  तथा जामिया मिलिया इस्लामिया अलीगढ़ में 1920 में, जून 1925 में दिल्ली में ले जाया गया,  स्थापित हुए | 
         इनके साथ साथ आंदोलन के लिए कतिपय रचनात्मक पहलू भी निर्धारित किए गए थे जैसे-
  1. आंदोलन के कार्यक्रमों की गतिविधियों के लिए 1 करोड़ रुपए का कोष स्थापित किया जाएगा , जिसका नाम तिलक कोष होगा क्योंकि तिलक की मृत्यु 1 अगस्त को हो गई | इस कारण कोष का नामकरण तिलक के नाम पर रखा गया|
  2. बहिष्कार कार्यक्रम को गति देने के लिए एक करोड़ स्वयं सेवकों की भर्ती |
  3. घर-घर में चरखा चलाने और सूट काटने के लिए 20 लाख चरके वितरित किए जाएंगे |
  4. शिक्षण संस्थाओं की स्थापना की जाएगी |
  5. अपृश्यता का निवारण किया जाएगा| 
  6. मद्य-पान निषेध का आवाहन किया जाएगा| 
                 1 अगस्त 1920 को असहयोग आंदोलन शुरू हो गया| 
 इस आंदोलन का पूरे देश में व्यापक असर हुआ और पूरे जन समुदाय ने इस में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया | 5 नवंबर 1920 को ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के अधिवेशन में गांधी जी ने असहयोग आंदोलन शुरू होने के '1 वर्ष के भीतर स्वराज प्राप्त करने का नारा दिया'| 
                  1921 ईस्वी तक आंदोलन अपने चरम पर पहुंच गया था,  इसी अवसर पर ब्रिटिश युवराज प्रिंस आफ वेल्स ने भारत की|  यात्रा की उनका उद्देश्य था आंदोलनकारी जनता को शांत करना , लेकिन अप्रत्याशित रूप से भारतीय जनता ने प्रिंस की इस यात्रा का बहिष्कार किया | जिस दिन (17 नवंबर 1921) को प्रिंस मुंबई पहुंचे उस दिन मजदूरों ने व्यापक हड़ताल कर दी , जगह-जगह जुलूस निकाले गए और ब्रिटिश सरकार की तीव्र भर्त्सना की गई | 
                 कांग्रेसका वार्षिक अधिवेशन 27 दिसंबर 1921 ईस्वी को अहमदाबाद में हुआ,  यद्यपि इस अधिवेशन के अध्यक्ष सी०आर०दास चुने गए थे लेकिन जेल में बंद होने के कारण इसकी अध्यक्षता हकीम अजमल खां ने की थी | इस अधिवेशन में चिंतरंजन दास ने जेल से अपना संदेश युवकों को दे दिया कि बड़ी संख्या में स्वयंसेवक बने | इसके अलावा अधिवेशन में आंदोलन की भावी रणनीति का भार गांधीजी के जिम्मे में सौंप दिया |
             गांधी जी ने 1 फरवरी 1922 ईस्वी को वायसराय लॉर्ड रीडिंग  को पत्र लिखकर चेतावनी दी , कि यदि सरकार ने अपना दमन खत्म नहीं किया तो वह तुरंत बारदोली से सामूहिक अवज्ञा तथा लगान बंदी का कार्यक्रम शुरू करेंगे,  लेकिन इसी बीच चोैरी चोैरा की घटना घट गई |

Comments

Popular posts from this blog

एक अच्छा ब्लॉगर कैसे बने/how to become a good blogger?

how to know how many sims are running in your name