Individual Satyagraha- 1940 | व्यक्तिगत सत्याग्रह 1940
व्यक्तिगत सत्याग्रह -1940.
जब युद्ध का विरोध बढ़ने लगा तो वायसराय लॉर्ड लिनलिथगो ने 19 जनवरी 1940 ईस्वी को घोषणा की , कि युद्ध के बाद जितनी जल्दी हो सकेगा भारत को डोमिनियन स्टेट दिया जाएगा | इसी के बाद 20-22 मार्च को 1940 को कांग्रेस का रामगढ़ अधिवेशन (हजारीबाग , झारखंड) हुआ , जिसकी अध्यक्षता अबुल कलाम आजाद ने की थी | इसमें कांग्रेस ने प्रस्ताव पारित करके कहा कि भारत की जनता पूर्ण स्वाधीनता से कुछ कम स्वीकार नहीं कर सकती है| तथा भारत की जनता ही अपना निजी संविधान तैयार कर सकती है| इसी अधिवेशन में इन बातों को न मानने पर व्यक्तिगत सविनय अवज्ञा करने की भी चेतावनी दी |
युद्ध का विरोध तीव्रता देख 8 अगस्त 1940 को यह घोषणा की जिसे अगस्त प्रस्ताव भी कहते हैं इसमें निम्नलिखित प्रावधान थे-
- ब्रिटिश सरकार का उद्देश्य भारत में औपनिवेशिक स्वराज की स्थापना करना है |
- युद्ध समाप्त होने पर तुरंत एक संविधान निर्मात्री सभा का गठन किया जाएगा जिसमें विभिन्न भारतीय प्रतिनिधि होंगे |
- ब्रिटिश सरकार को युद्ध के मसलों पर राय देने के लिए एक युद्ध परामर्श समिति का गठन किया जाएगा जिसमें देसी रियासतों एवं अन्य वर्गो के प्रतिनिधि शामिल होंगे |
- ब्रिटिश सरकार भारत की शांति और कल्याण के मद्देनजर शासन का उत्तरदायित्व किसी भी ऐसे दल को नहीं सौंपेगी की जिसका अन्य कोई दल विरोध करें |
- ब्रिटिश सरकार भारतीय जनता से अनुरोध करती है कि वह सरकार को युद्ध में पूर्णरूपेण सहयोग करें |
कांग्रेस ने इस घोषणा के बाद अगस्त प्रस्ताव को तुरंत अस्वीकृत कर दिया क्योंकि कांग्रेसी मुख्य मांग थी कि भारत का शासन तत्काल भारतीयों को सौंपा जाए| दूसरी तरफ मुस्लिम लीग ने इस घोषणा को इसलिए अस्वीकार कर दिया क्योंकि इसमें पाकिस्तान का जिक्र नहीं था|
कांग्रेस कार्यकारिणी ने 11 अक्टूबर 1940 को व्यक्तिगत सत्याग्रह करने का निश्चय किया| व्यक्तिगत सत्याग्रह के लिए कुछ नियम बनाए |
- सत्याग्रह में वही आदमी भाग ले सकता है जिसको गांधीजी इजाजत देंगे|
- जिस किसी को सत्याग्रह के लिए चुना जाएगा वह निर्धारित समय की एक हफ्ते पहले स्थानीय अधिकारियों को सुनिश्चित करेगा कि उसका उसकी सत्याग्रह यात्रा कहां से कहां होगी|
- सत्याग्रह ही व्यक्ति अगर सत्याग्रह के दौरान गिरफ्तारी से बच गया तो वह निर्धारित स्थान पर पहुंचकर तिरंगा फहराया और नारा लगाए की युद्ध से हमारा कोई वास्ता नहीं है|
व्यक्तिगत सत्याग्रह की शुरुआत 17 अक्टूबर 1940 को हुई| इसके प्रथम सत्याग्रही आचार्य विनोबा भावे चुने गए | ब्रिटिश सरकार द्वारा 21 अक्टूबर 1940 को गिरफ्तार कर लिया गया | दूसरे सत्याग्रही पंडित जवाहरलाल नेहरू चुने गए , इन्हे 31 अक्टूबर 1940 को गिरफ्तार कर लिया गया| तीसरे सत्याग्रही ब्रह्म दत्त बने इन्हें 17 नवंबर 1940 में गिरफ्तार कर लिया गया|
यह सत्याग्रह पूर्ण रूप से नियंत्रित था गांधी जी ने इसी आंदोलन में सबसे पहले सर्वोदय शब्द का प्रयोग किया| गांधीजी के आदर्शों का प्रचार करने के लिए विनोदा भावे ने सर्वोदय समाज की स्थापना की|
मई 1941 तक 6 प्रांतों के भूतपूर्व मुख्यमंत्री, 29 मंत्री तथा 290 विधान मंडल के सदस्य गिरफ्तार हुए थे |
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