उत्तर प्रदेश के प्रमुख अनुसंधान संस्थान | Research Institutes in Uttar Pradesh (2025)

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  उत्तर प्रदेश में स्थित प्रमुख अनुसंधान संस्थान | Research Institutes in Uttar Pradesh उत्तर प्रदेश में स्थित प्रमुख अनुसंधान संस्थान भारत का सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश शिक्षा, विज्ञान और अनुसंधान के क्षेत्र में निरंतर प्रगति कर रहा है। इस राज्य में कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के अनुसंधान संस्थान कार्यरत हैं, जो विज्ञान, प्रौद्योगिकी, कृषि, पर्यावरण और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। 1. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर (IIT Kanpur) स्थापना: 1959 | स्थान: कानपुर IIT कानपुर उत्तर प्रदेश का सबसे प्रसिद्ध तकनीकी संस्थान है। यह इंजीनियरिंग, विज्ञान, और अनुसंधान के क्षेत्र में अग्रणी है। यहाँ उच्च स्तरीय प्रयोगशालाएँ, रिसर्च प्रोजेक्ट्स और नवाचार केंद्र मौजूद हैं। प्रमुख क्षेत्र: इंजीनियरिंग, कंप्यूटर साइंस, पर्यावरण तकनीक योगदान: टेक्नोलॉजी इनक्यूबेशन सेंटर और स्टार्टअप विकास 2. सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टिट्यूट (CDRI), लखनऊ स्थापना: 1951 | स्थान: लखनऊ यह संस्थान औषधि अनुसंधान में भारत के सबसे ...

Tripuri session of Congress 1939 | Haripura session of Congress 1938 |

 कांग्रेस का त्रिपुरी संकट- 1939.

कांग्रेस के हरीपुरा ( गुजरात ) अधिवेशन ( फरवरी 1938 )में सुभाष चंद्र बोस निर्विरोध अध्यक्ष निर्वाचित हुए  | इस अधिवेशन में कांग्रेस ने अपनी रजवाड़ों से ना जुड़ने वाली नीति का त्याग कर दिया |
                  1939 के त्रिपुरी (जबलपुर , मध्य प्रदेश) सम्मेलन में अध्यक्ष पद हेतु चुनाव में सुभाष चंद्र बोस , गांधीजी समर्थित पट्टाभिसीतारमैय्या से 1377 मतों के मुकाबले 1580 मतों से जीत गए | इसके बाद महात्मा गांधी ने कहा कि यह पट्टाभिसीतारमैय्या की हार नहीं व्यक्तिगत मेरी हार है |
              कांग्रेस की त्रिपुरी अधिवेशन के पश्चात सुभाष चंद्र बोस और कांग्रेस के दक्षिणपंथी नेताओं का समस्त झगड़ा कांग्रेस की कार्यकारिणी समिति के गठन के प्रश्न पर केंद्रित हो गया|  गोविंद बल्लभ पंत द्वारा प्रस्ताव प्रस्तुत कर सुभाष चंद्र बोस से कहा गया कि वह गांधी जी के इच्छा अनुसार अपनी कार्यसमिति बनाएं परंतु गांधी जी इसे अस्वीकार कर सुभाष से अपनी मर्जी से कार्यसमिति बनाएं | सुभाष चंद्र बोस चाहते थे कि कांग्रेस कार्यसमिति में नए विचारों के लोग हो , परंतु वह अपने कार्य समिति की घोषणा भी नहीं कर रहे थे  | वस्तुत: वे चाहते थे कि आने वाले संघर्ष का नेतृत्व गांधीजी करें परंतु संघर्ष की रणनीति सुभाष चंद्र बोस और वामपंथी समूह तय करें | इसके लिए गांधीजी राजी नहीं हुए  | अंततः सुभाष चंद्र बोस कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया  | इसके बाद डॉ राजेंद्र प्रसाद कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बनाए गए |
                   सुभाष चंद्र बोस अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद 1939 में फारवर्ड ब्लाक की स्थापना की |  यह संगठन वामपंथी विचारधारा पर आधारित था | 

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