What is the Simon Commission? Details around what it is and what it effects.|साइमन कमीशन |

 साइमन कमीशन-

तत्कालीन गवर्नर जनरल लार्ड इरविन (1926 से 1931) के सुझाव पर ब्रिटिश सरकार ने भारत शासन अधिनियम 1919 में जांच करने के लिए एक आयोग की घोषणा 1927 में कर दी | इस आयोग के अध्यक्ष सर जॉन साइमन  थे इसके 6 अन्य सदस्य-
  1. वर्नहम
  2. स्ट्रेथ कोना
  3. लेन फोक्स
  4. कैडेगन
  5. क्लिमेंट एटली
  6. बर्नोन हार्टशोर्न
यह आयोग समय से पहले गठित कर दिया गया था क्योंकि ब्रिटेन में चुनाव होने वाला था | सत्ता दल कंजरवेटिव को यह डर था, कि उदारवादी पार्टी सत्ता प्राप्त कर भारतीयों को कुछ सुविधा प्रदान कर सकती है | 
    कमीशन की नियुक्ति से सारे देश में विरोध की लहर फैल गई|  दिसंबर 1927 में कांग्रेस का वार्षिक अधिवेशन मुख्तार अहमद अंसारी (m.a. अंसारी) के नेतृत्व में मद्रास में हुआ  | इसी अधिवेशन में साइमन कमीशन का विरोध करने का फैसला लिया गया | 
मोहम्मद अली जिन्ना के नेतृत्व में मुस्लिम लीग ने भी साइमन कमीशन का बहिष्कार का फैसला लिया|
                कमीशन 3 फरवरी 1928 को इंग्लैंड से मुंबई पहुंचा | उस दिन सारे देश में हड़ताल हुई | मद्रास में प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाई गई और अन्य अनेक स्थानों पर लाठीचार्ज हुआ|  सारे देश में 'साइमन वापस जाओ' का नारा गूंज उठा |  प्रदर्शनो की उसकी 30 अक्टूबर 1928 को लाहौर में प्रदर्शन कर रहे पंजाब केसरी लाला लाजपत राय की पुलिस ने बेरहमी से पिटाई की | पुलिस की मार से जख्मी होने के बाद उनकी मृत्यु हो गई|  लखनऊ में अन्य प्रदर्शनकारियों के साथ जवाहरलाल नेहरू और गोविंद बल्लभ पंत को भी पुलिस की लाठियां खानी पड़ी | लाठियों की मार से गोविंद बल्लभ पंत अपंग हो गए|
                साइमन कमीशन ने दो बार भारत की यात्रा की | पहली बार वह 3 फरवरी 1928 से 31 मार्च 1928 तक तथा दूसरी बार अक्टूबर 1928 से 13 अप्रैल 1929 तक रहा | आयोग की रिपोर्ट पर 12 मई और 27 मई 1930 को हस्ताक्षर हुआ तथा रिपोर्ट इसी समय प्रकाशित हुई| 
इस रिपोर्ट के 2 भाग से 1 भाग में सर्वेक्षण था और दूसरे भाग में सिफारिशें थी|
  1. कमीशन ने प्रांतों की द्वैध शासन प्रणाली को दोषपूर्ण बताते हुए प्रांतों को पूर्ण स्वायत्तता देने की सिफारिश की|
  2. कमीशन ने प्रांतीय विधान मंडलों के विस्तार की  सिफारिश की | 90% सीटें चुनाव द्वारा भरी जानी चाहिए|
  3. कमीशन ने केंद्र में एक उत्तरदायी सरकार की स्थापना से इनकार करते हुए पहले की भांति एक अनुउत्तरदायी सरकार की स्थापना का सुझाव दिया अर्थात इसमें केंद्रीय कार्यपालिका को व्यवस्थापिका सभा के नियंत्रण से बाहर रखना था|
  4. कमीशन ने भारत के संघीय राज्य के स्वररूप में विकसित करने की सिफारिश की|
  5. केंद्रीय विधान मंडल में निम्न सदन को संघीय सभा फेडरल असेंबली कहा जाए और जिस में 250 से 300 तक सदस्य हो |  उच्च सदन को राज्यसभा काउंसिल आफ स्टेट कहां जाए | जिसके सदस्य प्रांतीय आधार पर निर्वाचित या मनोनीत हो|
  6. कमीशन ने केंद्रीय विधानमंडल के दोनों सदनों के लिए अप्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली तथा प्रांतीय विधान मंडलों के लिए प्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली अपनाने की सिफारिश की|
  7. आयोग ने बर्मा को भारत से अलग करने तथा सिंध का  बम्बई से अलग करने की सिफारिश की|
  8. प्रांतीय गवर्नर व गवर्नर जनरल को अल्पसंख्यकों एवं सरकारी सेवकों के हितार्थ विशेष अधिकार प्रदान किए जाएं|
  9. कमीशन ने  सांप्रदायिक निर्वाचन पद्धति को कायम रखने की बात कही तथा सेना के भारतीय करण पर जोर दिया|
  10. प्रति 10 वर्ष पर सांविधिक मूल्यांकन की पद्धत छोड़ दी जाए तथा एक नया संविधान तैयार किया जाए|
  11. एक गोल में सम्मेलन का आयोजन किया जाए जिसमें भारतीय प्रतिनिधियों से अंतिम प्रस्ताव पर सहमति ली जाए तथा एक संयुक्त संसदीय समिति इन प्रस्तावो की जांच करें| 

Comments

Popular posts from this blog

एक अच्छा ब्लॉगर कैसे बने/how to become a good blogger?

how to know how many sims are running in your name