What was the Gandhi Irwin Pact?| गांधी-इरविन समझौता- 5 मार्च 1931.

 1. What the Gandhi-Irwin Pact was.

 2. Impact of the Gandhi-Irwin Pact

 3. What was the Gandhi Irwin Pact?

 4. How the Gandhi Irwin Pact affected the independence movement?

 Conclusion: This pact was an agreement signed between the Indian National Congress and the British. This pact ensured that there would be no more civil disobedience till the Simon Commission arrived in India and the British Government agreed to create a Royal Commission to study the Indian constitutional problem.


गांधी-इरविन समझौता- 5 मार्च 1931.

इस समझौते को "दिल्ली पैक्ट"भी कहा जाता है | सविनय अवज्ञा की तीव्रता और प्रथम गोलमेज सम्मेलन की असफलता से ब्रिटिश सरकार यह भली-भांति जान चुकी थी कांग्रेस का सहयोग जरूरी है | इस कारण उसने सर तेज बहादुर सप्रू और डॉक्टर जयकर  को कांग्रेस और सरकार के बीच मध्यस्थता के लिए लगाया | अच्छा माहौल बनाने के लिए कांग्रेस से प्रतिबंध हटा कर सभी कांग्रेसी नेताओं को रिहा कर दिया गया|  26 जनवरी 1931 को गांधी जी को भी बिना शर्त रिहा कर दिया गया|  वायसराय लार्ड इरविन और महात्मा गांधी  के बीच 17 फरवरी 1931 को वार्ता शुरू हुई और अंततः 5 मार्च 1931 को एक समझौता हुआ जिसे गांधी इरविन पैक्ट  कहते हैं|
  1. कांग्रेस द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में भाग लेगी |
  2. कांग्रेस सविनय अवज्ञा आंदोलन स्थगित कर देगी |
  3. राजनीतिक संगठनों को प्रतिबंधित करने का आदेश वापस लिया जाएगा |
  4. हिंसात्मक मुकदमों को छोड़कर सभी राजनीतिक मुकदमों को वापस लेने पर सरकार तैयार हो गई | इसके साथ ही सभी राजनीतिक बंदियों को छोड़ दिया जाएगा| 
  5. सभी, जुर्माने को माफ कर दिया जाएगा|
  6. सरकार द्वारा सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान जब तक की गई सभी संपत्तियां वापस कर दी जाएंगी |
  7. यदि कांग्रेस इस समझौते का पालन नहीं करेगी तो सरकार भी अपनी समझ से कार्यवाही करेगी|

सरोजिनी नायडू ने इस समझौते में "गांधी -इरविन दो महात्मा" बताया

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