उत्तर प्रदेश के प्रमुख अनुसंधान संस्थान | Research Institutes in Uttar Pradesh (2025)

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  उत्तर प्रदेश में स्थित प्रमुख अनुसंधान संस्थान | Research Institutes in Uttar Pradesh उत्तर प्रदेश में स्थित प्रमुख अनुसंधान संस्थान भारत का सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश शिक्षा, विज्ञान और अनुसंधान के क्षेत्र में निरंतर प्रगति कर रहा है। इस राज्य में कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के अनुसंधान संस्थान कार्यरत हैं, जो विज्ञान, प्रौद्योगिकी, कृषि, पर्यावरण और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। 1. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर (IIT Kanpur) स्थापना: 1959 | स्थान: कानपुर IIT कानपुर उत्तर प्रदेश का सबसे प्रसिद्ध तकनीकी संस्थान है। यह इंजीनियरिंग, विज्ञान, और अनुसंधान के क्षेत्र में अग्रणी है। यहाँ उच्च स्तरीय प्रयोगशालाएँ, रिसर्च प्रोजेक्ट्स और नवाचार केंद्र मौजूद हैं। प्रमुख क्षेत्र: इंजीनियरिंग, कंप्यूटर साइंस, पर्यावरण तकनीक योगदान: टेक्नोलॉजी इनक्यूबेशन सेंटर और स्टार्टअप विकास 2. सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टिट्यूट (CDRI), लखनऊ स्थापना: 1951 | स्थान: लखनऊ यह संस्थान औषधि अनुसंधान में भारत के सबसे ...

Wavell Plan – 14 June 1945( वेवेल प्लान-14 जून 1945)| शिमला सम्मेलन -25 जून 1945.

 वेवेल प्लान-14 जून 1945.

14 जून 1945 को तत्कालीन वायसराय लॉर्ड वेवल ने एक योजना प्रस्तुत किया जिस के प्रावधान निम्न है-
  1. ब्रिटिश सरकार का लक्ष्य भारत की राजनीतिक समस्या का समाधान तथा उसे स्वशासन की ओर ले जाना है | वायसराय व प्रधान सेनापति को छोड़कर सभी सदस्य भारतीय होंगे |
  2. वैदेशिक मामले, केवल सीमांत और कबीलाई क्षेत्रों को छोड़कर भारतीयों के हाथ में रहेगें |
  3. इस परिषद में सवर्ण हिंदुओं और मुसलमानों की संख्या बराबर होगी |
  4. भारत मंत्री का भारतीय शासन पर नियंत्रण तो रहेगा लेकिन यह भारतीय हित में ही कार्य करेगा |
  5. युद्ध की समाप्ति पर भारतीय स्वयं अपना संविधान बनाएंगे |
  6. उपयुक्त प्रस्तावो पर विचारार्थ शिमला में एक सम्मेलन बुलाया जाएगा |

 शिमला सम्मेलन -25 जून 1945.

शिमला सम्मेलन में कुल 21 नेताओं ने भाग लिया था | इनमें मोहम्मद अली जिन्ना, अबुल कलाम आजाद ,जवाहरलाल नेहरू, लियाकत अली खां ,मास्टर तारा सिंह, भूलाभाई देसाई प्रमुख थे |
                शिमला सम्मेलन का उद्देश्य था बेबल प्रस्ताव पर विचार करना  | लॉर्ड वेवेल ने कार्यकारिणी परिषद के गठन के लिए 14 आदमी निर्धारित किए थे जिनमें लीग के 5 , कांग्रेस के 5 तथा 4 अन्य थे | लेकिन मुस्लिम चुनने के मुद्दे पर सम्मेलन असफल हो गया | क्योंकि कांग्रेस ने एक मुस्लिम अबुल कलाम आजाद को कार्यकारणी में रखने के लिए चुना , लेकिन जिंन्ना इस बात पर अड़ गए कि मुस्लिम को चयनित करने का अधिकार केवल लीग को है|  अबुल कलाम आजाद इस बात पर बहुत छुब्ध हो गए  | इसका जिक्र उन्होंने अपनी पुस्तक 'इंडिया विंस फ्रीडम' में इन शब्दों में किया- भारत के राजनीतिक इतिहास में शिमला सम्मेलन एक दुर्घटना है कि यह प्रथम अवसर था जब वार्ता भारत और ब्रिटेन के बीच आधारभूत राजनीतिक प्रश्न पर नहीं वरन विभिन्न भारतीय वर्गों को विभाजित करने वाले सांप्रदायिक प्रश्न पर असफल हो गई | लार्ड वेवेल ने भी जिन्ना को इसके लिए दोषी ठहराया था |

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