what is lahore conspiracy case? | Indian Republican Army |
लाहौर षड्यंत्र कांड-
लाहौर षड्यंत्र केस में कुल 16 क्रांतिकारियों को गिरफ्तार करके मुकदमा चलाया गया | 26 अगस्त 1930 को भगत सिंह को अपराधी सिद्ध किया | 7 अक्टूबर 1930 को 68 पृष्ठों का निर्णय दिया , जिसमें भगत सिंह , सुखदेव , राजगुरु को फांसी की सजा सुनाई गई |
बटुकेश्वर दत्त को दिल्ली असेंबली बम कांड में शामिल होने के लिए काले पानी की सजा देकर सेल्यूलर जेल अंडमान भेज दिया गया |
इनके माफीनामा के लिए 10 जनवरी 1931 प्रीवी काउंसिल लंदन, मदन मोहन मालवीय द्वारा 14 फरवरी 1931 वायसराय, 17 व 18 फरवरी 1931 महात्मा गांधी द्वारा वायसराय से मांगा , लेकिन सभी जगह माफीनामा रद्द कर दिया गया 23 मार्च को फांसी दी गई |
इंडियन रिपब्लिकन आर्मी-
भारत की आजादी पाने की इच्छा इतनी प्रबल थी कि बहुत से लोगों ने ब्रिटिश फौज की नौकरी छोड़ दी , अंग्रेजों से लोहा लेने के लिए इंडियन रिपब्लिकन आर्मी का गठन कर लिया| IRA (इंडियन रिपब्लिकन आर्मी) के गठन का विचार आइरिश रिपब्लिकन आर्मी से प्रेरित था |
IRA गठन से पूरे बंगाल में क्रांति की लहर आ गई और इसी के चलते सूर्यसेन के नेतृत्व में स्वतंत्रता के दीवानों ने 18 अप्रैल 1930 को चटगांव के शस्त्रागार पर हमला बोल दिया और हथियारों का कब्जा जमा कर ब्रिटिश शासन के खात्मे की घोषणा कर दी | क्रांति की ज्वाला के चलते हुकूमत के नुमाइंदे भाग गए और चटगांव में कुछ दिन के लिए अंग्रेजी शासन का अंत हो गया |
इस जंग में दो लड़कियां प्रीतीलता वाडेदार और कल्पना दत्त ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई | अंग्रेजों से घिरने पर प्रीति लता ने जहर खाकर मातृभूमि के लिए जान दे दी , जबकि कल्पना दत्त 'मास्टर द सूर्य सेन' के साथ गिरफ्तार हुई और अंत में उम्र कैद हो गई |
फरवरी 1933 के इस घटना के बाद सूर्य सेन ब्रिटिश प्रशासन से बचते फिरते रहे एक बार नेत्रसेन के घर पर शरण लिए हुए थे परंतु नेत्रसेन धन के लालच में पुलिस को खबर दे दिया | मास्टर द को गिरफ्तार कर लिया गया, | नेत्रसेन की पत्नी ने इस बात को लेकर नेत्रसेन की गला रेत कर हत्या कर दी | 12 जनवरी 1934 को तारकेश्वर दास्तीकार के साथ फांसी दे दी गई |
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