उत्तर प्रदेश के प्रमुख अनुसंधान संस्थान | Research Institutes in Uttar Pradesh (2025)

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  उत्तर प्रदेश में स्थित प्रमुख अनुसंधान संस्थान | Research Institutes in Uttar Pradesh उत्तर प्रदेश में स्थित प्रमुख अनुसंधान संस्थान भारत का सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश शिक्षा, विज्ञान और अनुसंधान के क्षेत्र में निरंतर प्रगति कर रहा है। इस राज्य में कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के अनुसंधान संस्थान कार्यरत हैं, जो विज्ञान, प्रौद्योगिकी, कृषि, पर्यावरण और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। 1. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर (IIT Kanpur) स्थापना: 1959 | स्थान: कानपुर IIT कानपुर उत्तर प्रदेश का सबसे प्रसिद्ध तकनीकी संस्थान है। यह इंजीनियरिंग, विज्ञान, और अनुसंधान के क्षेत्र में अग्रणी है। यहाँ उच्च स्तरीय प्रयोगशालाएँ, रिसर्च प्रोजेक्ट्स और नवाचार केंद्र मौजूद हैं। प्रमुख क्षेत्र: इंजीनियरिंग, कंप्यूटर साइंस, पर्यावरण तकनीक योगदान: टेक्नोलॉजी इनक्यूबेशन सेंटर और स्टार्टअप विकास 2. सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टिट्यूट (CDRI), लखनऊ स्थापना: 1951 | स्थान: लखनऊ यह संस्थान औषधि अनुसंधान में भारत के सबसे ...

लार्ड विलिंगटन | लार्ड लिनलिथगों | पूना पैक्ट |gk question in Hindi |

 लार्ड विलिंगटन (1931-1936 तक)


1 सितम्बर से 1 दिसम्बर 1931 तक द्वितीय गोलमेज सम्मलेन का आयोजन लन्दन में हुआ। इस सम्मेलन में गांधी जी राष्ट्रीय कांग्रेस का प्रतिनिधित्व किया। यह सम्मेलन अनिर्णीत रहा तथा गांधीजी जनवरी 1932 में सविनय अवज्ञा आन्दोलन का द्वितीय चरण प्रारंभ किया |


- ब्रिटिश प्रधानमंत्री रैम्से मैकडोनाल्ड ने 16 अगस्त 1932 को साम्प्रदायिक निर्णय (कम्यूनल अवार्ड) की घोषणा । इस अवार्ड में हरिजनों एवं दलित वर्ग को भी पृथक सम्प्रदाय का  दर्जा दिया गया और उन्हें भी पृथक निर्वाचन मण्डल के द्वारा अपने प्रतिनिधियों को चुनने का अधिकार प्रदान दिया गया। गांधीजी ने इसके विरुद्ध अनशन किया। फलस्वरूप 25 सितम्बर 1932 को गांधी- अम्बेडकर के बीच समझौता हुआ | जिसे पूना पैक्ट के नाम जाना जाता है।

 -1 अगस्त 1933 दिसम्बर व्यक्तिगत सविनय अवज्ञा आंदोलन चला। 

- दिसंबर 1932  मे तृतीय गोलमेज सम्मेलन सम्पन्न हुआ। साइमन कमीशन की रिपोर्ट और गोलमेज सम्मेलन में की गयी चर्चाओं के आधार पर भारत शासन अधिनियम 1935 ब्रिटिश संसद द्वारा पारित किया गया।


लार्ड लिनलिथगों 1936 से 1944 तक-

- भारत में नियुक्त अंग्रेज गवर्नर जनरल में इसका कार्यकाल सबसे लंबा था
- इसके समय में पहला चुनाव कराया गया , चुनाव का परिणाम राष्ट्रीय कांग्रेस के पक्ष में रहा |
- 1939 में द्वितीय विश्व युद्ध प्रारंभ हुआ , जिसमें भारतीयों को भी घसीटा गया, इसी मुद्दे पर कांग्रेसी सरकारों ने इस्तीफा दे दिया |
- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 31वें  हरिपुरा अधिवेशन में 19 फरवरी 1938 को सुभाष चंद्र बोस को अध्यक्ष चुना गया, अगले वर्ष 1939 में अध्यक्ष पद को लेकर त्रिपुरी में विवाद हो गया ,इस पर सुभाष चंद्र बोस ने इस्तीफा दे दिया ,अप्रैल 1939 ईस्वी में सुभाष चंद्र बोस ने कांग्रेस से इस्तीफा दिया और फॉरवर्ड ब्लॉक का गठन किया |
- लार्ड लिनलिथगों  के समय में ही 1940 में पाकिस्तान की मांग की गई ,|
-1942 में क्रिप्स मिशन भारत आया |
-और 1942 में ही भारत छोड़ो आंदोलन प्रारंभ हुआ |
- 1943 में बंगाल में भयानक अकाल पड़ा |



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