How did Sir Curzon partition Bengal in 1905?

 बंगाल विभाजन 1905- 

बंगाल का विभाजन लार्ड कर्जन (1899-1905) के कार्यकाल में हुआ. इसकी घोषणा 20 जुलाई 1905 को की गई थी तथा 16 अक्टूबर 1905 से लागू हो गया. इस दिन पूरे बंगाल में शोक दिवस के रूप में मनाया गया. रविंद्र नाथ टैगोर के सुझाव पर संपूर्ण बंगाल में इस दिन को राखी दिवस के रूप में मनाया गया |

        विभाजन के बाद बंगाल पूर्वी और पश्चिमी बंगाल में बट गया. पूर्वी बंगाल और असम को मिलाकर एक नया प्रांत बनाया गया. जिसमें राजशाही ,चटगांव, ढाका आदि सम्मिलित थे. इस प्रांत का मुख्यालय ढाका था. विभाजन की दूसरी भाग में पश्चिमी बंगाल उड़ीसा और बिहार शामिल थे|

      बंगाल के विभाजन (1905) के विरोध में हुए प्रारंभिक आंदोलन का नेतृत्व सुरेंद्रनाथ बनर्जी ने किया था. बंगाल विभाजन के प्रस्ताव के विरोध में बांग्ला पत्रिका" संजीवनी "के संपादक कृष्ण कुमार मिश्र ने सर्वप्रथम यह सुझाव दिया था कि लोगों को सारी ब्रिटिश माल का बहिष्कार करना चाहिए ,शोक मनाना चाहिए तथा सरकारी अधिकारियों एवं सरकारी संस्थाओं से सभी संपर्क तोड़ लेने चाहिए|

         7 अगस्त 1905 को कोलकाता के टाउन हाल में स्वदेशी आंदोलन की घोषणा की गई. इसी बैठक में ऐतिहासिक बहिष्कार प्रस्ताव पारित हुआ. बाल गंगाधर तिलक, लाला लाजपत राय तथा अरविंद घोष ने पूरे देश में स्वदेशी आंदोलन एवं ब्रिटिश माल का बहिष्कार का प्रचार किया|

        16 अक्टूबर 1905 का दिन पूरे बंगाल में शोक दिवस के रूप में मनाया गया. घरों में चूल्हा नहीं जला,लोगों ने उपवास रखा , सुबह जत्थे के जत्थे लोगों ने गंगा स्नान किया फिर सड़कों पर 'वंदे मातरम' गाते हुए प्रदर्शन करने लगे. लोगों ने एक दूसरे के हाथ पर राखी बांधी थी|

     ब्रिटिश पत्रकार एचडब्ल्यू नेविन्सन चार महीने भारत में रहकर मैनचेस्टर गार्जियन, ग्लास्गो हेराल्ड तथा दिल्ली क्रॉनिकल के लिए रिपोर्टिंग की थी| बाद में इस रिपोर्ट को  "न्यूज़ स्क्रिप्ट इन इंडिया" नाम से पुस्तक के रूप में संपादित किया|

      राष्ट्रीय आंदोलन के बढ़ते प्रभाव के वातावरण में अवनींद्र नाथ टैगोर ने 1907 में "इंडियन सोसायटी आफ ओरिएंटल आर्ट" की स्थापना की, जिसके द्वारा प्राप्त कला मूल्यों का पुनर्जीवन एवं आधुनिक भारतीय कला में नई चेतना जागृत हुई|

       दिसंबर 1911 ईस्वी में ब्रिटिश सम्राट जॉर्ज पंचम और महारानी मेरी के भारत आगमन पर उनके स्वागत हेतु दिल्ली में एक दरबार का आयोजन किया गया. दिल्ली दरबार में ही 12 दिसंबर 1911 को सम्राट ने बंगाल विभाजन को रद्द घोषित किया साथ ही कोलकाता की जगह दिल्ली को भारत की नई राजधानी बनाए जाने की घोषणा की. घोषणा के अनुरूप बंगाल को नए प्रांत के रूप में पुनर्गठित किया गया. उड़ीसा तथा बिहार को इससे अलग कर दिया गया. असम को एक नया प्रांत बनाया गया तथा सिलहट को इसमें जोड़ दिया गया|


Comments

Popular posts from this blog

एक अच्छा ब्लॉगर कैसे बने/how to become a good blogger?

how to know how many sims are running in your name