उत्तर प्रदेश के प्रमुख अनुसंधान संस्थान | Research Institutes in Uttar Pradesh (2025)
कांग्रेस का दूसरा अधिवेशन 1886 ईसवी में कोलकाता में हुआ, इसकी अध्यक्षता दादाभाई नौरोजी ने की, इसके अतिरिक्त दादा भाई नौरोजी ने 1893 ईस्वी में लाहौर अधिवेशन तथा 1906 में कोलकाता अधिवेशन की अध्यक्षता की थी |
कांग्रेस का तीसरा अधिवेशन 1887 ईस्वी में मद्रास में संपन्न हुआ ,इसकी अध्यक्षता बदरुद्दीन तैयब जी ने की थी, यह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सर्वप्रथम मुस्लिम अध्यक्ष बने ,इसी सम्मेलन में पहली बार कांग्रेस के कार्य संचालन का भार प्रतिनिधियों की एक कमेटी के हाथों में सौंपा गया, यह आगे चलकर "विषय निर्धारण समिति" कहलाई|
कांग्रेस का चतुर्थ अधिवेशन 1888 में इलाहाबाद में संपन्न हुआ जिसकी अध्यक्षता जॉर्ज यूल ने किया, यह पहला अवसर था जब किसी विदेशी ने (यूरोपीय ) कांग्रेस पार्टी की अध्यक्षता किया |
- 1885 से 1905 तक कांग्रेस का रुख उदारवादी था, इसी कारण इस दौर को उदारवादी युग कहा जाता है ,दादा भाई नौरोजी, फिरोजशाह मेहता ,सुरेंद्रनाथ बनर्जी, गोपाल कृष्ण गोखले जैसे नेता इसी उदारवादी युग के हैं, इस समय कांग्रेस का लक्ष्य और उसकी मांगे बहुत सीमित थी| कांग्रेस के नेताओं की कार्यप्रणाली में ज्ञापन, प्रार्थना और प्रोटेस्ट का तरीका ही मुख्य था, उदारवादी नेताओं की सबसे बड़ी उपलब्धि ब्रिटिश आर्थिक शोषण का पर्दाफाश करना था| इनमें दादाभाई नौरोजी ,गोविंद रानाडे तथा रमेश चंद्र दत्त प्रमुख थे |
भारत का पितामह दादाभाई नौरोजी को कहा जाता है|
- 1906 ई० के बाद भारतीय राजनीति में कांग्रेस के अंदर उग्रवादी दल के उदय के साथ-साथ क्रांतिकारी उग्रवादी दलों का आविर्भाव हुआ |उग्रवादी विचारधारा के प्रमुख नेता बाल गंगाधर तिलक ,लाला लाजपत राय ,बिपिन चंद्र पाल तथा अरविंद घोष थे |इन नेताओं ने स्वराज्य प्राप्ति का लक्ष्य बनाया |तिलक ने कहा "हमारा उद्देश्य आत्मनिर्भरता है भिक्षावृत्ति नहीं "|उन्होंने कांग्रेस पर प्रार्थना, याचना तथा विरोध की राजनीति का आरोप लगाया |तिलक ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को याचना संस्था (बेगिंग इंस्टीट्यूट )की संज्ञा दी| तिलक ने नारा दिया" स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा " | बाल गंगाधर की अखाड़े, लाठी क्लब, गौ हत्या विरोधी सभाएं स्थापित की| बाल गंगाधर तिलक ने महाराष्ट्र में शिवाजी महोत्सव तथा गणपति पर्व आरंभ किए, ताकि जनता में राष्ट्रवाद की भावना जागृत हो |
वैलेंटाइन चिरोल (वी. चिरोल) ने बाल गंगाधर तिलक को अशांति का जनक बताया|
बाल गंगाधर तिलक की मृत्यु 1 अगस्त 1920 को हो गई| उनकी अर्थी को महात्मा गांधी के साथ मौलाना शौकत अली तथा डॉ सैफुद्दीन किचलू ने उठाया ,मौलाना हसरत मोहानी ने उस समय लोकगीत पढ़ा|
- लाला लाजपत राय को शेर -ए- पंजाब के नाम से भी जानते हैं ,यह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में गरम दल के नेता तथा पूरे पंजाब के प्रतिनिधि थे| इन्हें पंजाब केसरी भी कहा जाता है| साइमन कमीशन का विरोध करते समय लाठीचार्ज से लाला लाजपत राय घायल हुए ,जिसके कारण 17 नवंबर 1928 को इनकी मृत्यु हो गई|
Comments
Post a Comment