Who is Swami Vivekananda's? | Swami Vivekananda's contribution to India | How Swami Vivekananda's contribution to India Conclusion: His last words were "I want to rest now". The world has rested. He has made his mark.

 स्वामी विवेकानंद-

स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में हुआ था , इनका वास्तविक नाम नरेंद्र नाथ दत्त था , उन्होंने अमेरिका स्थित शिकागो में 11 सितंबर 1893 को (प्रथम भाषण) विश्व धर्म सभा में भारत की ओर से सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किया,  स्वामी विवेकानंद के गुरु रामकृष्ण परमहंस थे |
                  1886 ईसवी में वराहनगर मठ की स्थापना किया, जनवरी 1887 में वराहनगर मठ में से ही स्वामी विवेकानंद ने संन्यास की औपचारिक प्रतिज्ञा की |
सन् 1890 से 1893 तक पैदल ही पूरे भारत का भ्रमण किया|
 13 फरवरी 1893 को स्वामी जी प्रथम सार्वजनिक व्याख्यान सिकंदराबाद मे दिया|
 31 मई 1893 को मुंबई से अमेरिका रवाना हुए, सबसे पहले 25 जुलाई 1893 को बैंकूवर ( कनाडा) पहुंचे और 30 जुलाई 1893 को शिकागो पहुंचे|
                   विश्व धर्म सम्मेलन में प्रथम भाषण 11 सितंबर 1893 को दिया | "मेरे अमेरिकी भाइयों एवं बहनों" से भाषण की शुरुआत किया , इनकी वक्तव्य शैली और ज्ञान को देखते हुए , वहां की मीडिया ने उन्हें साइक्लाॕनिक हिंदू का नाम दिया | स्वामी जी सदा अपने को गरीबों का सेवक कहते थे |
27 सितंबर 1893 विश्व धर्म सम्मेलन शिकागो में अपना अंतिम व्याख्यान दिया , अमेरिका में ये कुल 3 वर्ष तक रहे | नवंबर 1894 वेदांत समिति की स्थापना न्यूयॉर्क मे किया|
                    रामकृष्ण मिशन की स्थापना   1मई सन् 1897 को स्वामी विवेकानंद ने की | इसका मुख्यालय कोलकाता के निकट बेलूर में है | जिसे बेलूर मठ के नाम से जाना जाता है | रामकृष्ण मिशन दूसरों की सेवा और परोपकार को "कर्म योग" मानता है जो हिंदू धर्म का महत्वपूर्ण सिद्धांत है |
                  अद्वैत आश्रम रामकृष्ण मठ की एक शाखा है, जो भारत के उत्तराखंड राज्य के चंपावत जिले में मायावती नामक स्थान पर स्थित है, इसकी स्थापना 19 मार्च 1899 को किया | प्रबुद्ध भारत पत्रिका का प्रारंभ यहीं से हुआ | यह मिशन की अंग्रेजी मासिक पत्रिका थी |
            4 जुलाई 1902 को स्वामी विवेकानंद ने महासमाधि वेल्लूर में ले ली |
            1984 में भारत सरकार ने उनके जन्मदिन को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाना तय किया जो हर साल मनाया जाता है |
         स्वामी विवेकानंद जी लिखी पुस्तकें-
1) राजयोग  
2) कर्म योग  
3) मेरे गुरुदेव  
4) हिंदू धर्म  
5) ज्ञान योग  
6) मेरे जीवन का ध्येय 
7) भक्ति योग 

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