MNREGA Name Change: New Scheme Name Announced
MNREGA का नया नाम: “पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार योजना” — पूरी जानकारी
MGNREGA (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) का नाम बदलने का प्रस्ताव सरकार ने कैबिनेट के पास भेज दिया है। नया प्रस्तावित नाम है — “पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार योजना”। इस लेख में हम बदलाव के कारण, प्रस्तावित सुधार, लाभार्थियों पर असर और आगे की प्रक्रिया को पूरी डिटेल में समझेंगे।
नाम बदलने का कारण
सरकार का कहना है कि यह नाम महात्मा गांधी के ग्राम विकास, श्रम और आत्मनिर्भरता के सिद्धांतों से बेहतर मेल खाता है। इसका उद्देश्य है:
- योजना को गांधीजी की विचारधारा से जोड़ना
- योजना की पहचान और जागरूकता बढ़ाना
- ग्रामीण विकास कार्यों को नया स्वरूप देना
मुख्य प्रस्तावित बदलाव
1. 100 दिन की जगह 125 दिन का रोजगार
सरकार ग्रामीण श्रमिकों को सालाना 125 दिन तक रोजगार देने का प्रस्ताव ला रही है। इससे ग्रामीण परिवारों को अधिक स्थिर आय मिलेगी।
2. गैर-कृषि कार्यों में भी रोजगार
अब निम्न कार्यों में भी रोजगार बढ़ाया जाएगा:
- सड़क निर्माण
- भवन निर्माण
- जल संरक्षण परियोजनाएँ
- पंचायत स्तर का इंफ्रास्ट्रक्चर
3. डिजिटल भुगतान और GPS निगरानी
अधिक पारदर्शिता के लिए सरकार निम्न सुधार लाना चाहती है:
- आधार आधारित भुगतान
- GPS ट्रैकिंग
- ऑनलाइन उपस्थिति
- तेज़ भुगतान प्रक्रिया
MGNREGA — एक संक्षिप्त परिचय
- ग्रामीण परिवारों को सालाना कम से कम 100 दिन का रोजगार मिलता है (नई योजना में 125 दिनों का प्रस्ताव)।
- 15 दिनों में काम न मिलने पर बेरोज़गारी भत्ता मिलता है।
- यह दुनिया की सबसे बड़ी रोजगार गारंटी योजनाओं में से एक है।
लाभार्थियों पर संभावित असर
- आय में वृद्धि: 125 दिन रोजगार से परिवारों को अधिक कमाई।
- स्थानीय विकास: तालाब, सड़कें, नहर जैसी परियोजनाओं में काम बढ़ेगा।
- महिला सशक्तिकरण: MGNREGA में एक-तिहाई से अधिक महिलाएँ शामिल हैं।
- पारदर्शिता: डिजिटल मॉनिटरिंग से भ्रष्टाचार में कमी आएगी।
आगे क्या होगा?
यह प्रस्ताव कैबिनेट में विचाराधीन है। मंजूरी के बाद:
- नया नाम आधिकारिक रूप से लागू होगा
- नए दिशा-निर्देश जारी होंगे
- वित्तीय आवंटन किया जाएगा
निष्कर्ष
MNREGA को “पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार योजना” में बदलना सरकार का एक बड़ा कदम है। इससे ग्रामीण भारत में रोजगार, पारदर्शिता और विकास के नए अवसर पैदा हो सकते हैं।
नोट: यह लेख समाचार रिपोर्टों और उपलब्ध सरकारी प्रस्तावों पर आधारित है।


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