UPCOS शासनादेश 19-09-2025 — आउटसोर्सिंग सेवा निगम का पूरा विवरण
उत्तर प्रदेश आउटसोर्सिंग सेवा निगम (UPCOS) — पूर्ण विवरण (शासनादेश 19-09-2025 सहित)
यह लेख आपके उपलब्ध कराए गए विस्तृत लेख और शासनादेश (19-09-2025) के अनुरूप संकलित है — पूरा, संदर्भित
भूमिका — परिचय
उत्तर प्रदेश जैसे विशाल राज्य में प्रशासनिक सेवाओं का असर-क्षेत्र व्यापक है। विभागीय कामकाज-लोड बढ़ने और नियमित भर्ती-प्रक्रियाओं के कारण कई विभागों ने संविदा/आउटसोर्सिंग मॉडल अपनाया। आउटसोर्सिंग ने तत्कालीन मानव-शक्ति की आवश्यकता पूरी की, पर परिणाम स्वरूप कई व्यवस्थागत असंगतियाँ और कर्मचारी-अधिकार की कमी उभरी।
इन समस्याओं के स्थायी समाधान के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने 19 सितंबर 2025 को शासनादेश जारी कर के UP Outsourcing Service Corporation (UPCOS) का गठन किया — यह कंपनी Section-8 (Non-Profit) के तहत गठित की गई है और इसका उद्देश्य आउटसोर्सिंग की नीति को एकीकृत, पारदर्शी व कर्मचारी-हितैषी बनाना है।
सार (Executive Summary)
मुख्य बिंदु: UPCOS एक राज्य-स्तरीय रेगुलेटरी संस्था होगी जो आउटसोर्सिंग एजेंसियों व विभागों के बीच त्रि-पक्षीय समझौतों (Tripartite Agreements) के माध्यम से प्रदान की जाने वाली सेवाओं को नियंत्रित करेगी। मुख्य प्रावधानों में GEM portal के माध्यम से एजेंसी चयन (अवधि 3 वर्ष), EPF/ESI अनिवार्यता, मासिक वेतन 01–05 तारीख में भुगतान, 100-point merit-based selection, चार वेतन-श्रेणियाँ और चौतरफा मॉनिटरिंग संरचना शामिल हैं।
क्यों यह आवश्यक था?
- एजेंसियाँ कर्मचारियों का पूरा मानदेय काट लेती थीं या देरी से देती थीं।
- EPF/ESI जमा अनियमित होता था, जिससे कर्मचारी सामाजिक सुरक्षा से वंचित थे।
- भर्ती में पारदर्शिता की कमी और आरक्षण व स्थानीय वरीयता का पालन नहीं।
- एजेंसी-आधारित अनुबंधों में विभागों के पास निगरानी का अभाव।
आउटसोर्सिंग का इतिहास और समस्या-विश्लेषण
शुरुआती लाभ: आउटसोर्सिंग ने सरकारी प्रक्रियाओं को त्वरित और लचीला बनाया — विशेषकर तकनीकी, आईटी, स्वास्थ्य, सफाई और सुरक्षा जैसे अल्पकालिक या क्षेत्र-विशिष्ट कार्यों के लिए। कई विभागों ने निजी एजेंसियों के माध्यम से कर्मियों की भर्ती कर ली जिससे संचालन बाधित नहीं हुआ।
समस्याएँ:
- वेतन कटौती और देरी: कुछ एजेंसियाँ विभाग से मिलने वाले धन में से कमीशन निकालती थीं और कर्मचारियों के वेतन में कटौती करती थीं। कई बार वेतन देर से या आंशिक रूप से आता था।
- EPF/ESI का अभाव: सामाजिक सुरक्षा (Provident Fund, ESI) जमा न होने के कारण कर्मचारियों का भविष्य असुरक्षित रहा।
- नियुक्ति और नवीनीकरण में अनियमितताएँ: अनुबंध चक्र में विभागों द्वारा मनमाना नवीनीकरण और शर्तों में परिवर्तन।
- आरक्षण व स्थानीयता का उल्लंघन: भर्ती में कई स्थानों पर आरक्षण तथा जनपदीय व स्थानीय वरीयता के नियमों का पालन नहीं हुआ।
- निगरानी का अभाव: एजेंसियों की गतिविधियों पर प्रभावी सरकारी निगरानी नहीं थी, जिससे दुरुपयोग की घटनाएँ बढ़ीं।
- कैरियर विकास का अभाव: संविदात्मक कर्मचारी वर्षों तक कार्य करते रहे पर पदोन्नति, वेतन-वृद्धि और सामाजिक सम्मान में स्थायी कर्मचारियों के बराबर नहीं हुए।
इन चुनौतियों ने राज्य सरकार को एक केंद्रीकृत, नियमबद्ध एवं पारदर्शी संस्थान बनाने के लिए प्रेरित किया — परिणामस्वरूप 19-09-2025 शासनादेश जारी हुआ।
19-09-2025 शासनादेश — विस्तृत प्रावधान
शासनादेश का मूल उद्देश्य था आउटसोर्सिंग व्यवस्था को कानून के दायरे में लाना और कर्मचारियों के अधिकार सुनिश्चित करना। नीचे शासनादेश के महत्वपूर्ण भागों का विस्तार दिया जा रहा है — यह सार आपके दिए गए PDF पर आधारित है। (अधिकारिक संदर्भ के लिए फ़ाइल देखें)।
1. कानूनी स्वरूप और UPCOS का गठन
UPCOS एक Section-8 non-profit company होगी (Companies Act, 2013) — इसका उद्देश्य लाभ सिद्धान्त नहीं, बल्कि सामाजिक और सरकारी सेवाओं के बेहतर समन्वय हेतु रेगुलेटरी फ्रेमवर्क बनाना है। निगम का मुख्यालय राज्य सरकार द्वारा निर्धारित स्थान पर होगा और इसके बोर्ड में उच्च स्तरीय प्रशासनिक अधिकारी होंगे।
2. Tripartite Agreement (त्रि-पक्षीय समझौता)
हर आउटसोर्सिंग अनुबंध के लिए तीन पक्ष होंगे:
- विभाग/ब्योक्ता (Service recipient): वह सरकारी यूनिट जो सेवा ले रही है।
- आउटसोर्सिंग एजेंसी (Employer): वह ठेकेदार जो कर्मियों को नियुक्त करता और भुगतान का ज़िम्मेदार होता है।
- UPCOS (Regulator/Coordinator): निगम जो नियम, SOP और निगरानी के मानक तय करेगा और एजेंसी पर निगरानी रखेगा।
इस समझौते में शामिल प्रमुख बिंदु होंगे: वेतनमान, EPF/ESI योगदान, प्रशिक्षण दायित्व, परफॉर्मेंस ऑडिट, अनुशासनात्मक प्रक्रिया और विवाद निवारण प्रक्रिया।
3. एजेंसी से अपेक्षित दायित्व (ड्यू-डिलीजेंस)
- मासिक वेतन भुगतान: एजेंसी प्रतेक माह 01–05 तारीख के मध्य कर्मचारियों के बैंक खातों में पूरा मानदेय जमा करेगी। भुगतान में देरी की स्थिति में दण्डात्मक प्रावधान होंगे।
- EPF/ESI खाता उद्घाटन: सभी कर्मचारियों के लिए EPF और ESI खाते खोलना और मासिक योगदान समय पर जमा करना अनिवार्य है।
- जमा प्रमाण देना: EPF/ESI की जमा रसीद/प्रमाण UPCOS को प्राविधिक तरीके से हर माह 10 तारीख तक दी जाएगी — तभी एजेंसी का कमीशन जारी होगा।
- कर्मचारियों का संरक्षण: मनमाने ढंग से हटाने/स्थानांतरण की मनाही — केवल अनुशासनात्मक कारणों व विभाग+निगम की सहमति पर ही हटानें का प्रावधान।
- ट्रेनिंग और गुणवत्ता: समय-समय पर कर्मचारियों को आवश्यक प्रशिक्षण देना एजेंसी की ज़िम्मेदारी होगी, खासकर तकनीकी व स्वास्थ्य पदों पर।
- रिपोर्टिंग और ऑडिट: एजेंसियों को नियमित रिपोर्टिंग, फील्ड वेरिफिकेशन और आडिट में सहयोग देना होगा।
4. GEM portal से एजेंसी चयन
एजेंसियों का चयन Government e-Marketplace (GEM) अथवा सेवायोजन पोर्टल के माध्यम से किया जाएगा — प्रक्रिया पारदर्शी और प्रतिस्पर्धात्मक होगी। अनुबंध की अवधि आमतौर पर 3 वर्ष रखी जाएगी या कार्य-आवश्यकता के अनुसार कम/अधिक।
5. वेतन-श्रेणियाँ और न्यूनतम मानदेय
शासनादेश में 4 श्रेणियाँ स्पष्ट की गई हैं, जिनमें प्रत्येक श्रेणी के लिए न्यूनतम मानदेय निर्धारित हैं। (नीचे विस्तृत सूची)।
6. मॉनिटरिंग और शिकायत निवारण
UPCOS द्वारा चार-स्तरीय मॉनिटरिंग समिति का गठन किया गया है — शासन स्तर, मंडल स्तर, जिला स्तर और स्थानीय स्तर। साथ ही कर्मचारियों के लिए एक ऑनलाइन शिकायत पोर्टल और त्वरित निवारण तंत्र होगा।
नोट: शासनादेश के तकनीकी, सूचीबद्ध और तालिकाबद्ध अंश (जैसे पदों की विस्तृत तालिका, अनुबंध मापदण्ड इत्यादि) इस लेख के अगले हिस्सों में अनुलग्नक-रूप से पूर्ण विवरण के साथ दिए जा रहे हैं — जैसा कि आपकी प्रदान की हुई PDF में है।
चयन प्रक्रिया (SOP) — विस्तृत व्याख्या
यह अनुभाग भर्ती-SOP का विस्तार है — किस प्रकार आवेदन बुलाये जायेंगे, लिखित परीक्षा, वरीयताएँ और अंतिम चयन मानदण्ड।
A. आवेदन और उम्मीदवार बुलाना
- विभाग अपनी रिक्वायरमेंट UPCOS/सेवायोजन पोर्टल पर डालता है — पदों की संख्या, श्रेणी, कार्यस्थल, योग्यता और अन्य शर्तें।
- पोर्टल पर रिक्ति प्रकाशित होने पर— यदि vacancy 1 है तो पोर्टल 5 उम्मीदवारों को बुलायेगा; यदि पद 2 या उससे अधिक हैं तो पदों के 3 गुना उम्मीदवार बुलाये जा सकते हैं परन्तु अधिकतम 10 उम्मीदवार। यह नियम प्रतिस्पर्धात्मकता और विकल्प सुनिश्चित करता है।
- कैंडिडेट सर्टिफिकेशन — सभी दावेदारों को अपने दस्तावेज़ (शैक्षिक प्रमाण पत्र, अनुभव प्रमाणपत्र, पहचान पत्र, निवास प्रमाण, विधवा/तलाकशुदा/परित्यक्ता दस्तावेज यदि लागू हो) अपलोड करने होंगे।
B. मूल्यांकन मानदण्ड (100 अंक)
चयन कुल 100 अंकों पर होगा — अंकन का विभाजन इस प्रकार है:
| श्रेणी | अवकाश (अंक) | विस्तार |
|---|---|---|
| अतिरिक्त/अधिमान्य योग्यता | 25 | यदि पद की आवश्यकता से अधिक शैक्षिक/प्रोफेशनल योग्यता हो तो अंक दिए जायेंगे (उदा. MSc/PG for graduate post)। |
| विधवा/तलाकशुदा/परित्यक्ता (महिला) | 10 | वर्गीकृत वरीयता — विधवा > तलाकशुदा > परित्यक्ता (प्रमाण पत्र आवश्यक)। |
| लिखित परीक्षा | 50 | विभागवार/पदवार आयोजित लिखित टेस्ट — विषय, सामान्य ज्ञान, कम्प्यूटर/कौशल इत्यादि पर आधारित। |
| स्थानीय निवासी (जनपदीय) | 15 | स्थानीय निवासिता को प्राथमिकता — जनपदीय/मंडलीय आधार पर अंक प्रदान। |
C. इंटरव्यू और दस्तावेज सत्यापन
Class-III और Class-IV पदों के लिए फार्मल इंटरव्यू नहीं होगा; चयन केवल लिखित परीक्षा और दस्तावेज सत्यापन पर आधारित होगा। अन्य तकनीकी/सीनियर पदों पर आवश्यकतानुसार इंटरव्यू या प्रैक्टिकल टेस्ट लिया जा सकता है।
D. मेरिट लिस्ट, नियुक्ति और अनुबंध
- लिखित परीक्षा के अंकों, अतिरिक्त योग्यता और स्थानीयता अंकों के आधार पर अंतिम मेरिट लिस्ट बनाई जाएगी।
- चयनित उम्मीदवारों को ट्रिपार्टाइट अनुबंध की शर्तों के अनुरूप नियुक्ति पत्र जारी होगा — इसमें वेतन (न्यूनतम श्रेणी), कार्य अवधि, लेफ्टरी/नियोक्ता की जिम्मेदारियाँ, और EPC/ESI विवरण सम्मिलित होंगे।
- नियुक्ति संविदात्मक होगी — नियुक्ति अवधि, नवीनीकरण के मानक और अनुशासनात्मक प्रक्रिया स्पष्ट रहेगी।
E. आरक्षण और विशेष वरीयताएँ
शासनादेश में निर्दिष्ट आरक्षण (SC/ST/OBC/Divyang/Ex-Servicemen/Women) लागू होगा; इसके अतिरिक्त विधवा/तलाकशुदा/परित्यक्ता महिलाओं को आरक्षण/अतिरिक्त वरीयता दी गई है। आरक्षण का पालन और दस्तावेज़ निर्धारण UPCOS पोर्टल पर पारदर्शी होगा।
चार श्रेणियाँ — पद, योग्यता और विस्तृत सूची (Complete)
नीचे PDF से लिए गए विस्तृत पद-सूची तथा संबंधित योग्यता और कार्य विवरण दिए जा रहे हैं — ताकि कोई भी पद छूट न जाए। यह अनुभाग विस्तृत है और हर श्रेणी के मानक, उदाहरण और संभावित कार्य-भूमिका बताता है।
श्रेणी-1 — न्यूनतम मानदेय ₹40,000 (विस्तार)
उपयुक्त पद और योग्यता (नमूना):
- चिकित्सीय सेवाएँ (Medical Officers / MBBS): MBBS डिग्री, राज्य मेन्टेनेंस रजिस्ट्रेशन; क्लिनिक/सरकारी अस्पताल में OPD, emergencies, रिकॉर्ड रखरखाव।
- सिनियर इंजीनियरिंग / प्रोजेक्ट लीड (B.Tech/M.Tech): B.Tech/ M.Tech, प्रोजेक्ट मैनेजमेंट या अनुभव; बड़े इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट्स, गुणवत्ता नियंत्रण, अनुदान/निर्माण निगरानी।
- सीनियर लेखा अधिकारी (CA / M.Com + अनुभव): वित्तीय ऑडिट, बजट प्लानिंग, ऑडिट रिपोर्टिंग, वित्तीय नीतियों का अनुपालन।
- वास्तुविद् / आर्किटेक्ट (B.Arch): प्रोजेक्ट डिजाइन, योजना अनुमोदन, बिल्डिंग कोड अनुपालन।
- अनुसंधान अधिकारी / प्रोजेक्ट मैनेजर: नीतिगत प्रोजेक्ट्स, डाटा एनालिसिस, रिपोर्ट लेखन, RBI/DBT-style funding management (जहाँ लागू)।
मुख्य कर्तव्य: नीति-निर्देशों के अनुसार वरिष्ठ स्तर पर निर्णय लेना, तकनीकी मार्गदर्शन, प्रशिक्षण-निर्देशन, और विभागीय स्तर पर गुणवत्ता सुनिश्चित करना।
श्रेणी-2 — न्यूनतम मानदेय ₹25,000 (विस्तार)
उपयुक्त पद और योग्यता (नमूना):
- आशुलिपिक / Stenographer (Hindi/English): तेज़ टाइपिंग/स्टेनो स्पीड, ऑफिस रिकॉर्डिंग, ट्रांसक्रिप्शन और प्रशासनिक कार्य।
- लेखा सेवाएँ / Accountant (M.Com / Experience): पेरोल, बिलिंग, बैंक रीकोंसिलिएशन, टीडीएस/जीएसटी अनुपालन में सहयोग।
- Data Processing / DEO (Graduate + Computer Certificate): डेटा एंट्री, रिपोर्ट जेनरेशन, डेटाबेस मेंटेनेंस।
- अनुवादक / Translator: Hindi-English/Regional language translation—लोकल दस्तावेजों/नोटिस का अनुवाद।
- शिक्षक (B.Ed / Subject experts): प्राथमिक/माध्यमिक पाठ्यक्रम के अनुसार कक्षाएँ, शिक्षण सामग्री का निर्माण।
- Nursing / Pharmacy Assistants: GNM/ANM/Diploma, हेल्थकेयर असिस्टेंस, स्टॉक मैनेजमेंट।
- Diploma Engineers / Technical staff: Diploma बुनियादी तकनीकी रखरखाव, रिपोर्टिंग, सर्विसमेंट।
श्रेणी-3 — न्यूनतम मानदेय ₹22,000 (विस्तार)
उपयुक्त पद और योग्यता (नमूना):
- DEO / Data Operator: Graduate + computer certificate, MS Office, basic reporting।
- Electrician / Fitter / Technician (ITI): उपकरण रखरखाव, वायरिंग, समस्यानिवारण।
- Photographer / Videographer (Experience): सरकारी इवेंट, डॉक्यूमेंटेशन, फोटो-वीडियो एडिटिंग।
- Lab Technician / Para-medical: Diploma/Certificate, लैब रिपोर्टिंग, उपकरण मेंटेनेंस।
- Driver: Valid license + 5 yrs experience, वाहन रखरखाव और सुरक्षित ड्राइविंग।
श्रेणी-4 — न्यूनतम मानदेय ₹20,000 (विस्तार)
उपयुक्त पद:
- Peon / Office Attendant — Dak, files, basic office support।
- Sweeper / Sanitation Staff — सफाई कार्य, waste management।
- Store Attendant / Record Assistant — सामान प्राप्ति, रिकॉर्ड रक्षण।
- Lab Attendant / Support Staff — assisting lab technicians।
- Security / Chowkidar — basic surveillance and guarding।
मॉनिटरिंग — चार-स्तरीय कमेटियाँ और प्रक्रिया
शासनादेश के अनुसार मॉनिटरिंग के चार स्तर होंगे — यह सुनिश्चित करने के लिए कि SOP, EPF/ESI जमा, वेतन भुगतान और एजेंसी प्रदर्शन पर प्रभावी निगरानी हो:
- शासन स्तर कमेटी: अपर मुख्य सचिव/मुख्य सचिव स्तर पर नीति-निर्धारण, राज्य स्तरीय मॉनिटरिंग और विवाद निवारण।
- मंडल स्तर कमेटी: मंडलायुक्त नेतृत्व में प्रवर्तन, निरीक्षण और रिपोर्टिंग।
- जिला स्तर कमेटी: जिलाधिकारी अध्यक्षता में नियुक्ति सत्यापन, फील्ड वेरिफिकेशन।
- स्थानीय स्तर कमेटी: नगर निकाय/प्राधिकरण स्तर पर रोज़मर्रा की मॉनिटरिंग, शिकायत निवारण और फीडबैक।
प्रत्येक स्तर पर मॉनिटरिंग रिपोर्ट UPCOS पोर्टल में अपलोड की जाएगी और सार्वजनिक-रूपेण उपलब्ध करायी जा सकती है (ट्रांसपेरेंसी के लिए)।
वेतन भुगतान, EPF/ESI और वित्तीय प्रावधान
वेतन भुगतान
एजेंसी को निर्देशित किया गया है कि कर्मचारी का पूरा मानदेय प्रतिमाह 01–05 तारीख के बीच सीधे कर्मचारी के बैंक खाते में ट्रांसफर करे। भुगतान में देरी होने पर एजेंसी पर जुर्माना और अनुबंध में उल्लंघन की कार्रवाई लागू होगी।
EPF और ESI
- एजेंसी से यह अपेक्षित है कि सभी कर्मचारियों के लिए EPF और ESI खाते खोले जाएँ और निर्धारित योगदान मासिक जमा किया जाए।
- हर माह EPF/ESI जमा का प्रमाण UPCOS को दिया जाएगा — प्रमाण न मिलने पर एजेंसी का कमीशन रोका जा सकता है और दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।
वित्तीय प्रावधान (बजट)
विभाग अपनी आवंटित बजट के तहत आउटसोर्सिंग का भुगतान करेगा। यदि बजट अपर्याप्त हो तो विभागों को अनुदान/बचत/पुनर्विनियोजन के माध्यम से भुगतान सुनिश्चित करना होगा। UPCOS वित्तीय ऑडिट और पारदर्शिता के मानक तैयार करेगा ताकि फंड-फ्लो स्पष्ट रहे।
कर्मचारियों के अधिकार और सुरक्षा
शासनादेश और UPCOS के नियम कर्मचारियों के हित में कई सुरक्षा प्रावधान देते हैं:
- समय पर और पूरा वेतन: बैंक ट्रांसफर के माध्यम से 01–05 तारीख के भीतर।
- EPF/ESI कवरेज: सामाजिक सुरक्षा और स्वास्थ्य बीमा।
- अनुशासनात्मक प्रक्रिया: किसी भी कर्मचारी को केवल उचित अनुशासनात्मक कारण पर ही हटाया जा सकेगा; बिना सुनवाई और नियमावली के हटाना अवैध होगा।
- शिकायत निवारण: UPCOS पोर्टल पर ऑनलाइन शिकायत और स्थानीय स्तर पर त्वरित निवारण।
- विधवा/तलाकशुदा/परित्यक्ता महिलाओं को विशेष वरीयता: भर्ती में और नौकरी संबंधित अन्य सुविधाओं में वरीयता।
- प्रशिक्षण एवं मानव संसाधन विकास: नियमित रूप से कौशल उन्नयन प्रशिक्षण और कैरियर-प्रोफ़ाइल पोर्टल की स्थापना।
क्रियान्वयन — रोडमैप और सुझाव (प्रायोगिक)
UPCOS के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए सुझाया गया रोडमैप:
- फेज-1 (0–3 माह): UPCOS का गठन, BOD और Advisory committee की नियुक्ति, GEM portal पर प्रक्रिया सेटअप।
- फेज-2 (3–9 माह): पायलट roll-out (select 3-5 departments/districts), EPF/ESI integration, payroll automation और शिकायत पोर्टल का परीक्षण।
- फेज-3 (9–18 माह): राज्य-व्यापी रोल-आउट, मॉनिटरिंग कमीशन कार्यान्वयन, ऑडिट रिपोर्ट सार्वजनिक करना।
- फेज-4 (18+ महीने): नीति समायोजन, स्थायी SOP, और दीर्घकालिक कर्मचारी-समर्थन प्रोग्राम (स्किल-उन्नयन, कैरियर पथ)।
प्रायोगिक सुझाव: प्रारम्भिक 6 माह में कम-जोखिम वाले विभागों में पायलट लागू करें (उदा: नगर निगम सफाई, DEO सेवा)— वहां से सिख प्राप्त कर व्यापक रोल-आउट करें।
आम प्रश्न / समस्याएँ और उनके हल
Q1: क्या आउटसोर्सिंग कर्मचारी स्थायी हो सकते हैं?
A: शासनादेश के अनुसार आउटसोर्सिंग संविदा आधारित है; परन्तु दीर्घकालीन सेवाकाल में राज्य सरकार स्थायीकरण हेतु विशेष नीति ला सकती है — वर्तमान में यह संविदात्मक व्यवस्था ही बनी रहती है।
Q2: अगर एजेंसी EPF जमा नहीं करती तो क्या होगा?
A: UPCOS के पास एजेंसी के खिलाफ जुर्माना, कमीशन रोके जाने और ब्लैकलिस्टिंग तक के विकल्प हैं; एजेंसी को EPF/ESI जमा का प्रमाण हर माह देना अनिवार्य है।
Q3: क्या नियुक्ति में रिश्वत की संभावना खत्म हो जाएगी?
A: GEM portal और 100-point merit system पारदर्शिता बढ़ाते हैं; हालांकि पूरी तरह रोक तभी पायेगी जब चयन प्रक्रिया, दस्तावेज़ सत्यापन और फील्ड मॉनिटरिंग सख्ती से लागू हों।
निष्कर्ष — समेकित दृष्टिकोण
UPCOS तथा शासनादेश 19-09-2025 ने उत्तर प्रदेश में आउटसोर्सिंग के पारिस्थितिकी तंत्र में एक संरचनात्मक सुधार प्रस्तुत किया है। यदि नियमों का सख्ती से पालन किया जाता है — खासकर EPF/ESI जमा, समय पर वेतन भुगतान, पारदर्शी भर्ती और प्रभावी मॉनिटरिंग — तो हजारों संविदात्मक कर्मचारियों की आर्थिक सुरक्षा और सम्मान सुनिश्चित होगा।
यह योजना केवल कर्मचारियों के लिए नहीं बल्कि विभागीय कार्य-प्रणाली के लिए भी लाभकारी है — पारदर्शी मानव-शक्ति व्यवस्था से विभागों की कार्यक्षमता में सुधार, दोषी एजेंसियों पर कार्रवाई और सार्वजनिक विश्वास में वृद्धि संभव है।
यदि आप चाहें, मैं इसी पूर्ण लेख को 3 हिस्सों में विभाजित कर दूँ — (1) परिचय + शासनादेश, (2) SOP + श्रेणियाँ, (3) मॉनिटरिंग + नीतिगत सिफारिशें — ताकि आप ब्लॉग पर अलग-अलग पोस्ट के रूप में प्रकाशित कर सकें।

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