what was Chauri Chaura incident ? | चौरी चौरा की घटना |
चौरी चौरा की घटना-
यह घटना 5 फरवरी को गोरखपुर की जिले की चोेैरी-चोैरा कस्बे में घटी, इस दिन यहां असहयोग आंदोलन का एक जुलूस निकला, जिसका नेतृत्व भूतपूर्व सैनिक भगवान अहीर कर रहा था| जुलूस पर पुलिस वालों ने गोली चला दी, प्रतिक्रिया स्वरुप उग्र जनता ने पुलिस स्टेशन पर हमला करके आग लगा दी | स्टेशन के अंदर 22 पुलिसकर्मियों की मृत्यु हो गई | यह गांधीवादी रणनीति के अहिंसा वाले सिद्धांत पर एक गहरी चोट थी फलस्वरुप गांधी जी ने क्षुब्ध होकर 12 फरवरी 1922 को कांग्रेस कार्यकारिणी की बैठक में असहयोग आंदोलन को 6 बर्षो के लिए स्थगित करवा दिया | यह प्रस्ताव कांग्रेस कार्यकारिणी की बारदोली बैठक में लिया गया था |
इस परिप्रेक्ष्य में 24 फरवरी 1922 को आयोजित अखिल भारतीय कांग्रेस समिति की दिल्ली में बैठक हुई , जिसमे ऐसे सभी गतिविधियों पर रोक लगा दी, जिनसे कानून का उल्लंघन होता है | इसी अधिवेशन में असहयोग आंदोलन वापस लेने के कारण डॉ० मुंजे के द्वारा गांधीजी के खिलाफ निंदा प्रस्ताव लाया गया|
सकारात्मक परिणाम- असहयोग आंदोलन के परिणाम अत्यंत सकारात्मक परिणाम रहे |
- जनता मे अपनी राजनीतिक अधिकारों के प्रति जागृति आई|
- उन्हें अंग्रेजी शासन के प्रति पूर्ण अविश्वास हो गया |
- लोगों को यह भावना आई कि स्वयं के प्रयास से ही स्वाधीनता मिलेगी|
- लोगों के मस्तिष्क में कांग्रेस का एक राष्ट्रीय आधार वाली पार्टी के रूप में उभरी |
- आम जनता में दमन को सहने की क्षमता विकसित हुई|
आंदोलन स्थगित होने के बाद 10 मार्च 1922 को गांधी जी को गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें 6 वर्ष की सजा सुनाई गई | लेकिन खराब स्वास्थ्य के आधार पर उन्हें 1924 में ही जेल से रिहा कर दिया गया| जेल से छूटने के बाद गांधीजी हिंदू और मुस्लिमों की एकता को लेकर चिंतित हो गए, फलस्वरूप दिल्ली में 21 दिन का उपवास रखा|
26 सितंबर से 2 अक्टूबर 1924 तक दिल्ली में सांप्रदायिक सद्भाव बनाने के उद्देश्य से एक हिंदू-मुस्लिम एकता सम्मेलन हुआ , जिसमें सांप्रदायिक एकता के लिए एक केंद्रीय राष्ट्रीय पंचायत समिति बनाई गई , जिसके अध्यक्ष गांधीजी थे |और सदस्यों में हकीम अफजल खां, लाला लाजपत राय , के० नरीमैन, ए०के० दत्त और मास्टर सुंदर सिंह थे|
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