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Showing posts from February, 2022

गवर्नर जनरल तथा प्रथम वायसराय लार्ड केनिंग |महारानी विक्टोरिया की घोषणा |भारत शासन अधिनियम 1858 तथा भारत शासन अधिनियम 1861| लार्ड एल्गिन |लार्ड लारेंस|लार्ड मेयो|प्रथम जनगणना

 लार्ड केैनिंग - 1856 से 1862 तक  लार्ड केनिंग ईस्ट इंडिया कम्पनी द्वारा नियुक्त भारत का अन्तिम गवर्नर जनरल तथा प्रथम वायसराय और गवर्नर जनरल था | 1858 एक्ट ने यह परिवर्तन किया कि भारत का गवर्नर जनरल अब दो उपाधियों को धारण करने लगा | अगर स्वयं उसने प्रत्यक्षतः भारतीय भू- भागों का नियन्त्रण की और प्रशासनिक व्यवस्था की तब वह भारत का गवर्नर जनरल था किन्तु जब  उसने भारत के रियासतों के साथ काम किया तब वह वायसराय था |   -1 नवम्बर 1858 को महारानी विक्टोरिया की घोषणा केनिंग ने मिण्टो पार्क (इलाहाबाद) में पढ़कर सुनाया तथा यह घोषणा हुई कि अब देसी रियासत जीते नहीं जायेंगे ( व्यपगत नीति समाप्त) भारतीय नागरिक सेवा अधिनियम 1861 - परीक्षा - लन्दन में इसके समय की सबसे महत्वपूर्ण घटना 1857 की क्रांति है। इसी विद्रोह के बाद प्रशासनिक सुधार के अन्तर्गत भारत का शासन कम्पनी के हाथों से सीधे ब्रिटिश सरकार के नियन्त्रण में चला गया  - इसके समय में भारत शासन अधिनियम 1858 तथा भारत शासन अधिनिय 1861 पारित हुआ। -कैंनिंग के समय में ही सन् 1856 में विधवा पुनर्विवाह अधिनियम पारित हुआ। लार...

गवर्नर जनरल लॉर्ड डलहौजी| लार्ड ऑकलैण्ड| लॉर्ड हार्डिंग |आंग्ल-अफगान युद्ध |दास प्रथा का उन्मूलन |नरबलि प्रथा पर प्रतिबंध |लार्ड डलहौजी की विलय नीति |

 लार्ड ऑकलैण्ड -(1836-42 ) इसके समय की सबसे महत्वपूर्ण घटना प्रथम आंग्ल-अफगान युद्ध (1839-42 ) हुआ| 1839 ई० में इसने कलकत्ता से दिल्ली ग्रांड ट्रंक रोड का मरम्मत करवाया| लॉर्ड एलीन बरो- 1842 से 1844 प्रथम आंग्ल- अफगान युद्ध युद्ध समाप्त हो गया  दास प्रथा का उन्मूलन इसी के समय में हुआ | 1843 के एक्ट 5 के द्वारा दास प्रथा का अंत हुआ| लॉर्ड हार्डिंग-1844 से 1848 लॉर्ड हार्डिंग ने नरबलि प्रथा पर प्रतिबंध लगाया |  प्रथम आंग्ल सिख युद्ध (1845 से 46) लॉर्ड हार्डिंग के समय में हुआ| लॉर्ड डलहौजी  1844 से 1848         लाई वेलेजली के उपरान्त लाई डल्हौजी ही एक ऐसा शासक था, जिसने भारत में ब्रिटिश सर्वोच्चता के लिए अथक प्रयास किया तथा  बैंटिक के बाद डलहोजी ने प्रशासन में भी परिवर्तन लाने का प्रयास किया।   लॉर्ड डलहौजी को आधुनिक भारत का निर्माता  होने का श्रेय प्राप्त किया। विलय नीति: Policy of Anmexation लार्ड डलहौजी की विलय नीति पराकाष्ठा पर पहुंच गयी। राज्य विलय के लिए डल्हौजी ने मुख्यत: चार साधन अपनायें| 1 - युद्ध 2- कुशासन  ...

गवर्नर जनरल लार्ड विलियम बैंटिक | सती प्रथा |चार्ल्स मेटाकॉफ | भारतीय प्रेस का मुक्तिदाता |

 लार्ड विलियम बैंटिक (1828-35 ) - वैंटिक अपने जीवन के प्रारम्भिक वर्षों में सैनिक अधिकारी रह चुका था। उसे भारतीय शासन का अनुभव था  क्योंकि 1803 में वह मद्रास का गवर्नर रह चुका चुका था। इसी के समय 1806 ई० में माथे पर जातीय  चिन्ह न लगाने तथा कानों में बालियाँ न पहनने देने  पर वेल्लोर के सैनिकों ने विद्रोह कर दिया जिसके कारण उसे उपना पद छोड़ना पड़ा। 1833 ई० के चार्टर एक्ट द्वारा बंगाल के गवर्नर जनरल को भारत का प्रथम गवर्नर जनरल बना दिया गया  गवर्नर जनरल लार्ड विलियम बैंटिक का भारत का पहला गवर्नर जनरल बना| सती प्रथा - पति के शव के चिता पर बैठकर पत्नी का जल जाना सती प्रथा कहलाता है। इस प्रथा के प्रबल विरोधी राजा राम मोहन राय थे । इन्हीं के प्रयास से बैंटिक ने 1829 ई० में सती प्रथा को समाप्त कर दिया । बैंटिक ने इस प्रथा के खिलाफ कानून बनाकर दिसम्बर 1829ई० में धारा 17 के द्वारा विधवाओं के सती होने को अवैध घोषित कर दिया | ठगो मे हिंदू और मुसलमान दोनों धर्मों के अनुयायी सम्मिलित थे ये लोग काली, दुर्गा या भवानी की पूजा करते थे प्रायः अपने  शिकार का सिर काटकर देव...

गवर्नर जनरल सर जार्ज बार्लो, लार्ड मिंटो प्रथम, लार्ड हेस्टिंग्स

 सर जार्ज बार्लो 1805 से 1807 ई० वेल्लोर में सिपाही विद्रोह इसके काल की महत्वपूर्ण घटना है लार्ड मिन्टो प्रथम - 1807 से 1813 इसके कार्यकाल में रणजीत सिंह एवं अंग्रेजों के बीच 25 अप्रैल 1809 ई० को अमृतसर की सन्धि हुई।  तथा चार्टर एक्ट -1813 आया लार्ड हेस्टिंग्स (1813 - 1823 ई० ) - आंग्ल नेपाल युध्द (1814-16 ) लार्ड हेस्टिंग्स के गवर्नर जनरल काल में हुआ था जो कि 1816 की सगौली की सन्धि से यह युद्ध समाप्त हुआ। तृतीय- आंग्ल-मराठा युद्ध (1817-18 ) भी लार्ड हेस्टिंग्स से सम्बन्धित है पेशवा बाजीराव द्वितीय ने कोरेगांव एवं किर्की के युद्ध में हारने के बाद फरवरी 1818  में अंग्रेजों के समक्ष समर्पण कर दिया था। लॉर्ड हेस्टिंग्स के समय मे  1818 में बम्बई प्रांत बनाया| पिंडारी युध्द - (1817-18 ) - प्रमुख नेता → वासिल मुहम्मद, चीतू, करीम खां |र्ड  हेस्टिंग के कार्यकाल में ही टेनेंसी एक्ट 1822 लागू किया गया| इसी समय काश्तकारी अधिनियम आया| लार्ड एमहर्स्ट (1823-1828) -  इसके समय में प्रथम आंग्ल-वर्मा युद्ध (1024-26ई ) लड़ा गया ।  सन् 1826 ई० में अंग्रेजों एवं वर्म...

गवर्नर जनरल लॉर्ड आर्थर वेलेजली

 लॉर्ड आर्थर वेलेजली 1798 - 1805   वेलेजली ने भारतीय राज्यों को अंग्रेजी राजनैतिक परिधि में लाने के लिए सहायक संधि   का प्रयोग किया । सहायक सन्धि का जनक डुप्ले था जिसने अपनी सेना किराए पर भारतीय राजाओं को दी थी। अंग्रेजों ने भी यह प्रणाली अपनायी ।  प्रथम सहायक संधि 1765 ई० में अवध से की गई| जब कम्पनी ने निश्चित धन के बदले उसकी सीमाओं का रक्षा करने का वचन दिया और अवध में एक अंग्रेज रेजीडेंट को लखनऊ में रखना स्वीकार किया। लार्ड वेलेजली द्वारा विशिष्ट रूप से प्रवर्तित सहायक सन्धि को स्वीकार करने वाले राज्य थे 1- हैदराबाद - सितम्बर 1798 और 1800 2- मैसूर - 1799 3- तंजौर - अक्टूबर 1799 4-अवध - नवम्बर 1801 5- पेशवा -दिसम्बर 1802 -  बसीन की सन्धि -पेशवा बाजीराव II 6-बरार के भोंसले - दिसम्बर 1803 7- सिंधिया- फरवरी 1804 8- जोधपुर, जयपुर, मच्छेरी, बूंदी तथा भरतपुर सिडनी ओवन - वेलेजली ने भारत में अंग्रेजों का राज्य साम्राज्य में परिणति कर दिया। 

गवर्नर जनरल लार्ड कार्नवालिस

 लार्ड कार्नवालिस-1786 से 1793 भारत में न्यायिक संगठन की स्थापना लार्ड कार्नवालिस ने की थी  सर्वप्रथम अपने न्यायिक सुधारों के अन्तर्गत कार्नवालिस ने जिले की समस्त शक्ति कलेक्टर के हाथों में केन्द्रित कर दी|  1790-92 के बीच भारतीय न्यायधीशों से युक्त जिला फौजदारी अदालतो को समाप्त कर उसके स्थान पर चार भ्रमण करने वाले न्यायालय - तीन बंगाल में और एक बिहार के लिए किए गए।  लार्ड कार्नवालिस ने अपने न्यायिक सुधारों को 1793 तक अन्तिम रूप देकर उन्हें कार्नवालिस संहिता के रूप में प्रस्तुत किया । यह सुधार प्रसिद्ध सिद्धान्त शक्ति के पृथक्करण पर आधारित था उसने कर तथा न्याय प्रशासन को पृथक कर दिया। जो आगे चलकर भारतीय सिविल सेवा का रूप लिया। इसीलिए भारतीय नागरिक सेवा का जनक कार्नवालिस को कहते हैं।  स्थायी बन्दोबस्त. Permanunt Setlment कार्नवालिस इस व्यवस्था के लिए उसने सबसे पहले अपने दो अंग्रेज अधिकारियों से मशविरा किया जिसमें राजस्व बोर्ड के अध्यक्ष सर जॉन शोर तथा रिकार्ड कीपर जेम्स ग्रांट शामिल थे। इसके अनुसार जमीनदारों को भूमि का स्वामी माना गया वह उसी बेच सकता था, गिरवी ...

बंगाल गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग

   *वारेन हेस्टिंग्स (1772 - 1785* सन् 1772 ई से 1774 ई. तक बंगाल का गवर्नर रहा |  * रेग्युलेटिंग एक्ट 1773 * के द्वारा इसे 1774 में बंगाल का प्रथम गवर्नर जनरल बना दिया गया जो 1785 तक रहा।  1772 ई में संचालकों ने द्वैध  समाप्त करने का निर्णय किया, हेस्टिंग्स ने दोनों उपदीवान राजा शिताब राय (बिहार) और मुहम्मद रजा खां (बंगाल) को पदच्युत कर दीवान बनकर बंगाल, बिहार और उड़ीसा का प्रबंध अपने हाथों में लिया |  - कलकत्ता परिषद और प्रधान मिलकर राजस्व बोर्ड Board of Revenue का गठन किया तथा अपने कर संग्राहक नियुक्त किये। -राजकोष मुर्शिदाबाद से कलकत्ता लाया गया ।  -समस्त राजस्व के हिसाब हेतु एक भारतीय अधिकारी राय रैयन को नियुक्त किया गया। राजा राजबल्लभ (रायदुर्लभ का पुत्र) पहला भारतीय था जिसने इस पद को प्राप्त किया । 1772 में प्रत्येक जिलों में दीवानी अदालत तथा फौजदारी अदालत की स्थापना की गयी। इसका मुख्य न्यायाधीश कलेक्टर को बनाया गया। -रेग्युलेटिंग एक्ट 1773 के द्वारा कलकत्ता में एक * सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना * की गयी  इसमें एक मुख्य न्यायाधीश (इम्पे) तथ...

भारत के प्रमुख गवर्नर जनरल एवं वायसराय

 भारत के प्रमुख गवर्नर जनरल एवं वायसराय 1)- रॉबर्ट क्लाइव बंगाल का प्रथम गवर्नर बना था 2)- वारेन हेस्टिंग्स बंगाल का प्रथम गवर्नर जनरल बना था 3)- लॉर्ड विलियम बेंटिक भारत का प्रथम गवर्नर जनरल बना| 4)- लॉर्ड कैनिंग भारत का प्रथम वायसराय बना ! 5)-मार्किवन्स आफ लिनलिथगो भारत का प्रथम क्राउन प्रतिनिधि बना था  6)-चक्रवर्ती राजगोपालाचारी भारत अंतिम गवर्नर जनरल तथा क्राउन प्रतिनिधि बने |तथा प्रथम भारतीय गवर्नर जनरल बने|

कर्नाटक का युद्ध

                              कर्नाटक जिस प्रकार से हैदराबाद मुगल साम्राज्य से लगभग स्वायत्त हो चुका था उसी प्रकार कर्नाटक हैदराबाद से लगभग स्वायत्त स्थिति में आ चुका था किन्तु कर्नाटक में ब्रिटिश और फ्रांसीसी दोनों ही कंपनियाँ अपने- अपने राजनीतिक वर्चस्व की चेष्टा करने लगी। इसी कारण कर्नाटक में तीन युद्ध हुए अन्त में सफलता ब्रिटिश कंपनी को मिली  * कर्नाटक का प्रथम युद्ध 1746-48 *  1740 के दौरान आस्ट्रिया में जो उत्तराधिकार युद्ध के दौरान ब्रिटेन तथा फ्रांस आमने सामने थे उसी का परिणाम कर्नाटक प्रथम युद्ध था।  भारत का फ्रेंच गवर्नर जनरल डुप्ले ने 21 सितम्बर 1746 में मद्रास को आत्मसमर्पण करने से मजबूर कर दिया। इन युद्ध बन्दियों में क्लाइव भी शामिल था।   * एलाशापेल की सन्धि* 1748 आस्ट्रिया का युद्ध समाप्त हो गया।  * कर्नाटक का द्वितीय युद्ध - 1749-54 * इस युद्ध का प्रधान कारण था प्रथम युद्ध के बाद से डुप्ले की राजनीतिक महत्वाकांक्षा का जाग उलेकिन प्रत्यक्ष संघर्ष का कारण हैदराबाद तथा...

हैदराबाद स्वतंत्र राज्य की स्थापना

 * हैदराबाद का स्वतन्त्र राज्य*   हैदराबाद के स्वतन्त्र राज्य की स्थापना * चिनकिलिच खां निजाम-उलमुल्क आसफजाह * ने की थी।  1713 ई० में फरूखशियर ने चिनकिलिच खां को अपना समर्थन करने के एवज में *निजाम-उल-मुल्क बहादुर फतेहजंग* की उपाधि देकर दक्कन के सूबों का वायसराय नियुक्त किया |  1737 ई० में मुहम्मदशाह के आमन्त्रण पर चिनकिलिच खां दिल्ली दरबार पहुंचा जहां पर बादशाह ने उसे *आसफजाह* की उपाधि प्रदान की। हैदराबाद के निजामों की सत्ता अंग्रेजों के समय तक रही  लार्ड वेलेजली के समय निजाम ने सहायक सन्धि स्वीकार कर ली थी।

अवध के नवाब

 *अवध के नवाब*   *अवध के स्वतन्त्र राज्य की स्थापना सादात खां बुरहानुल्मुल्क ने की।*   1- * सादात खां बुरहानुल्मुल्क* 1722-1739 - यह मुगल बादशाह मुहम्मद शाह 'रंगीला' के दरबार में शिक्षा गुट का नेता था। इसे 1722 में अवध का गवर्नर नियुक्त किया गया। इसने 1723 ई. में अवध सूबे में नया भूमि बन्दोबस्त किया इसने धार्मिक सहिष्णुता की नीति का परिचय देते हुए हिन्दू और मुसलमानों में कोई भेदभाव नहीं किया। 2 ) *सफदरजंग 1739-1754 ]* - अवध के दूसरे नवाब सफदरजंग ने 1748 मे मुगल साम्राज्य का वजीर नियुक्त किया तब से अवध के शासक नवाब वजीर कहलाने लगे। इसने भी हिन्दू और मुसलमानों में कोई भेदभाव नहीं किया। यह बहुत ही नैतिक व्यक्ति था क्योंकि इसने केवल एक ही विवाह किया था 3) *- शुजाउद्‌दौला (1754-1775 ) -  1764 ई. में इसने बंगाल के अपदस्थ नवाब मौरकासिम की सहायता की थी तथा बक्सर का युद्ध अंग्रेजों से लड़ा था। वह इस युद्ध में हार गया। परिणाम स्वरूप * इलाहाबाद की सन्धि * के द्वारा उसे अंग्रेजों को 50 लाख रुपये तथा इलाहाबाद व कड़ा के जिले प्रदान करने पड़े । शुजाउद्‌दौला ने अंग्रेजों से ...

मैसूर राज्य का इतिहास

  मैसूर राज्य हैदरअली ने अधिकार करके अपनी स्वतन्त्र सत्ता स्थापित की थी। इसने अपनी सैन्य शक्ति बढ़ाने के लिए फ्रांसीसियों की सहायता से डिंडीगुल (तमिलनाडु) में एक शस्त्रागार की स्थापना की।  इसके अलावा उसने सैनिकों को विदेशी प्रशिक्षण भी दिलवाया। अपनी सेना को मजबूत किया । * प्रथम अंग्रेज- मैसूर युद्ध - 1767-69 -* हैदर अली एक बुद्धिमान कूटनीतिक व्यक्ति था उसने मराठो को धन देकर तथा निजाम को कुछ क्षेत्रों को देने का वादा करके अपनी तरफ मिला लिया। इसके बाद कर्नाटक पर आक्रमण कर दिया। वह अंग्रेजों को परास्त का दिया अन्ततः मंद्रास संधि के द्वारा युद्ध समाप्त हुआ।  * द्वितीय अंग्रेज - मैसूर युद्ध- 1780-84 * 1771 मे हैदरअली के राज्य पर आक्रमण किया तो अंग्रेजों ने कोई मदद नहीं किया। हैदर अली इसे मद्रास संधि का उल्लंघन माना | हैदर अली ने अपनी कूटनीति से मराठों और निजाम के साथ मिलकर एक त्रिगुट बना लिया तथा जुलाई 1780 में कर्नाटक पर पुनः आक्रमण किया और अर्काट को छीन लिया।  1782 में टीपू सुल्तान ने कर्नल ब्रेथबेट के अधीन ब्रिटिश सेना से तंजौर में आत्म समर्पण करा लिया ।  इसी ब...

पंजाब, पंजाब का इतिहास , अमृतसर की संधि

  पंजाब- पंजाब सिक्ख समुदाय के लोगों का राज्य था। सिक्खो को सम्प्रदाय के रूप में गुरु नानक ने संगठित किया था ये सिक्खो के प्रथम गुरु माने जाते हैं|  10 वें तथा अन्तिम गुरु गोविन्द सिंह थे। सिक्खो को एक लड़ाकू जाति के रूप में संगठित करने का श्रेय गुरु गोविंदसिंह को जाता है। इनकी पहचान एक राजनीतिक शक्ति के रूप में हुई| 1708 मे गुरु गोविन्द सिंह की हत्या होने के बाद सिक्खो की बागडोर बंदा बहादुर ने संभाली।  अंततः फर्रुखशियर ने 1715 ई० में पकड़वाकर उनकी हत्या करवा दी। इसके बाद सिंह कई मिसलो के रूप में संगठित रहे। इनमें 12 मिसले मुख्य थे। रणजीत सिंह का जन्म 2 नवम्बर 1780 को सुकरचकिया मिसल के मुखिया महासिंह के घर हुआ | - 1798 में जमानशाह ने पंजाब पर आक्रमण किया। वापस जाते समय उसकी तोपें चिनाब नदी में गिर गयी। रणजीत सिंह ने तोपों को निकलवाकर वापस भिजवा दिया। उस सेवा के बदले जमानशाह ने लाहौर पर अधिकार करने की अनुमति दे दी।  1799 में रणजीत सिंह ने तत्काल लाहौर पर अधिकार कर लिया गया उसे अपनी राजधानी बनाया। रणजीत सिंह 1805 में अमृतसर को भंगी मिसल से छीन लिया। तत्पश...

प्लासी का युद्ध

 * प्लासी का युद्ध* - प्लासी का युद्ध 23 जून 1757 ई. को अंग्रेजों के सेनापति राबर्ट क्लाइव एवं बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला के बीच हुआ। इस युद्ध में नवाब के सेनापति मीरजाफर और रायदुर्लभ की धोखाधड़ी के कारण पराजित हुआ। 29 जून 1757 को क्लाइव ने मीरजाफर को बंगाल का नवाब बना दिया।  * मीरजाफर - 1757-60 * - मीरजाफर ने गद्दी पर बैठते ही 24 परगना की जमींदारी प्रदान की। कम्पनी को 50 लाख का नजराना दिया, अंग्रेजों द्वारा मीरजाफर से धन की मांग दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही थी। मीरजाफर इन मांगों को पूरा का में असमर्थ हो गया, अंग्रेजों ने मीरजाफर के दामाद मीर कासिम को सितम्बर 1760 में नवाब बना दिया। इस घटना को 1760 की अगस्त क्रांति भी कहा जाता है। मीरकासिम - 1760-63 - अलीवर्दी खां के बाद मीरकासिम सबसे योग्य नवाब था। नवाब बनते ही वह अपनी राजधानी मुर्शिदाबाद से मुंगेर ले गया। धीरे - धीरे अंग्रेजों और नवाब के बीच झगड़े बढ़ गये। जून 1763 में मेजर ऐडम्स अंग्रेजों की तरफ से नवाब  से युद्ध करने पहुंचा , परिणाम स्वरूप मीरकासिम बंगाल छोड़कर बिहार भाग गया, जुलाई 1763 में अंग्रेजों ने पुनः मीरजाफर...

भारत में स्वायत्त राज्यों का उदय

 

यूरोपीय कंपनियों का भारत में आगमन

  यूरोपीय कम्पनियों का आगमन - बास्कोडिगामा भारत के पश्चिमी तट पर स्थित बन्दरगाह कालीकट पर 20 मई, 1498 को पहुंचा। कालीकट के तत्कालीन शासक जमोरिन ने वास्कोडिगामा का स्वागत किया।  वास्कोडिगामा के भारत आगमन से पुर्तगालियों एवं भारत के मध्य क्षेत्र में एक नए युग का शुभारंभ हुआ।   1505 फ्रांसिस्को द अल्मीडा भारत के प्रथम पुर्तगाली वायसराय बनकर आया|  अल्मीडा के बाद 1509 में अलफांसो द अल्बुकर्क (पुर्तगाल शक्ति का वास्तविक संस्थापक) वायसराय बनकर कर आया  |उसने 1510 में बीजापुरी शासक युसुफ आदिलशाह से गोवा छीनकर अपने अधिकार में कर लिया ।  गोवा को पुर्तगाल ने अपनी सत्ता और संस्कृति के महत्वपूर्ण केन्द्र के रूप स्थापित किया। पुर्तगालियों के भारत में प्रथम दुर्ग ( भारत मे प्रथम यूरोपीय दुर्ग) का निर्माण 1503 में अल्बुकर्क द्वारा कोचीन में कराया गया । दिसम्बर 1600ई . में ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ ने दि गवर्नर एंड कम्पनी ऑफ मर्चेण्ट्स ट्रेडिंग इन टू द ईस्ट इंडीज को पूर्व के ओर व्यापार करने के लिए 15 वर्षों के लिए अधिकार प्रदान किया था। इस कम्पनी के गठन ...