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Showing posts from April, 2022

Quit India Movement - 1942.|भारत छोड़ो आंदोलन- 1942.| राजगोपालाचारी योजना- 1944.

 भारत छोड़ो आंदोलन- 1942.  क्रिप्स मिशन असफल होने के बाद 14 जुलाई 1942 को कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक वर्धा में मौलाना अबुल कलाम आजाद के नेतृत्व में हुआ | यहीं पर कांग्रेस कार्य समिति द्वारा अंग्रेजों भारत छोड़ो का प्रस्ताव पारित किया गया |                             7 अगस्त 1942 को मुंबई की ऐतिहासिक ग्वालिया टैंक में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की वार्षिक बैठक हुई | जिसमें वर्धा प्रस्ताव (भारत छोड़ो) की पुष्टि हुई | भारत छोड़ो का प्रस्ताव का आलेख स्वयं महात्मा गांधी ने पंडित नेहरू और मौलाना आजाद के सहयोग से बनाया था 8 अगस्त 1942 को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की बैठक में पंडित नेहरू द्वारा भारत छोड़ो प्रस्ताव पेश किया गया था जिसका सरदार पटेल ने समर्थन किया था|                           8 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो प्रस्ताव पास होने के बाद गांधीजी का वक्तव्य- संपूर्ण आजादी से कम किसी भी चीज से मैं संतुष्ट होने वाला नहीं, हो सकता है क...

Cripps Mission - 1942

 क्रिप्स मिशन- 1942. द्वितीय विश्व युद्ध में भारत की भागीदारी और मदद मांगने के लिए मार्च 1942 में ब्रिटेन की तत्कालीन प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल की सरकार में मंत्री सर स्टेफोर्ड क्रिप्स के नेतृत्व में क्रिप्स मिशन भारत आया| इसकी दो अन्य सदस्य - ए०बी० अलेक्जेंडर तथा लॉर्ड पैथिक लोरेंस थे|             22 मार्च 1942 को यह मिशन भारत आया और 29 दिन के प्रवास के दौरान विभिन्न राजनीतिक दलों से मिला और अपना मसौदा प्रस्तुत किया- युद्ध के बाद भारत को डोमिनियन राज्य का दर्जा दिया जाएगा जो कि किसी बाहरी सत्ता के अधीन नहीं होगा| भारतीयों का अपना संविधान निर्मित करने का अधिकार दिया जाएगा , जिसके लिए युद्ध के बाद एक संविधान निर्मात्री परिषद बनेगी,  जिसमें भारत के प्रांतों के निर्वाचित सदस्य और देसी रजवाड़ों के प्रतिनिधि शामिल होंगे| ब्रिटिश भारत का कोई प्रांत यदि नए संविधान को स्वीकार नहीं करना चाहे तो उसे वर्तमान संवैधानिक स्थिति बनाए रखने का अधिकार होगा | अगर यह प्रांत चाहे तो अलग संविधान बना सकते हैं| युद्ध के दौरान वायसराय की कार्यकारिणी में भारतीय जनता...

Individual Satyagraha- 1940 | व्यक्तिगत सत्याग्रह 1940

 व्यक्तिगत सत्याग्रह -1940. जब युद्ध का विरोध बढ़ने लगा तो वायसराय लॉर्ड लिनलिथगो ने 19 जनवरी 1940 ईस्वी को घोषणा की , कि युद्ध के बाद जितनी जल्दी हो सकेगा भारत को डोमिनियन स्टेट दिया जाएगा | इसी के बाद 20-22 मार्च को 1940 को कांग्रेस का रामगढ़ अधिवेशन (हजारीबाग , झारखंड) हुआ , जिसकी अध्यक्षता अबुल कलाम आजाद ने की थी | इसमें कांग्रेस ने प्रस्ताव पारित करके कहा कि भारत की जनता पूर्ण स्वाधीनता से कुछ कम स्वीकार नहीं कर सकती है|  तथा भारत की जनता ही अपना निजी संविधान तैयार कर सकती है|  इसी अधिवेशन में इन बातों को न मानने पर व्यक्तिगत सविनय अवज्ञा करने की भी चेतावनी दी |        युद्ध का विरोध तीव्रता देख 8 अगस्त 1940 को यह घोषणा की जिसे अगस्त प्रस्ताव भी कहते हैं इसमें निम्नलिखित प्रावधान थे- ब्रिटिश सरकार का उद्देश्य भारत में औपनिवेशिक स्वराज की स्थापना करना है | युद्ध समाप्त होने पर तुरंत एक संविधान निर्मात्री सभा का गठन किया जाएगा जिसमें विभिन्न भारतीय प्रतिनिधि होंगे | ब्रिटिश सरकार को युद्ध के मसलों पर राय देने के लिए एक युद्ध परामर्श समिति का गठ...

World War II - 1939 to 1945.| द्वितीय विश्व युद्ध .

 द्वितीय विश्व युद्ध -1939 से 1945 . 1 सितंबर 1939 को द्वितीय विश्व युद्ध आरंभ हुआ, इसकी शुरुआत जर्मनी ने पोलैंड पर हमला करके किया | भारत को ब्रिटेन के पक्ष में एक युद्धरत राष्ट्र घोषित कर दिया, साथ ही देश में आपातकाल की घोषणा तत्कालीन वायसराय लॉर्ड लिधलिथगो ने कर दिया | कांग्रेस कार्यसमिति ने युद्ध की उद्देश्यों की घोषणा करने की मांग की तथा यह भी मांग की की युद्ध के बाद भारत को स्वतंत्र कर दिया जाए | लगभग 28 माह के कार्यकाल के बाद कांग्रेस मंत्रिमंडल ने, वर्धा बैठक 22 अक्टूबर 1939 के बाद , इस्तीफा भी दे दिया | Main Allied Leaders .  जोसेफ स्टालिन- रूस फ्रैंकलीन डी रुजवेल्ट -यूएसए विंस्टन चर्चिल- ब्रिटिश चियांग काई-शेक. - ताइवान  Main Asix Leaders.  एडोल्फ हिटलर -जर्मनी हिरो हितों- जापान बेनितो मुसोलिनी- इटली प्रथम विश्व युद्ध- 28 जुलाई 1914 को शुरू- 11 नवंबर 1918 को समाप्त हुआ  | ( कुल - 4 वर्ष 3 माह 14 दिन चला ) द्वितीय विश्व युद्ध- 1 सितंबर 1939 को शुरू- 2 सितंबर 1945 को समाप्त | (कुल - 6 वर्ष 1 दिन )

Pakistan Resolution - March 1940.|पाकिस्तान प्रस्ताव -मार्च 1940.

 पाकिस्तान प्रस्ताव -मार्च 1940. मुस्लिम सांप्रदायिकता 1935 सभी के बाद गतिशील हो चुकी थी | इसके बाद लीग को 1937 की चुनाव में आशा से कम सीट प्राप्त होना था लीग को 1585 सीटों में मात्र 128 सीटें ही मिली थी | लीग ने कांग्रेसी मंत्रिमंडल के विरुद्ध झूठी शिकायतें की और जांच के लिए समितियों का गठन किया गया |  1938 में पीरपुर पश्चिम बंगाल के राजा मोहम्मद मेंहदी की अध्यक्षता में एक समिति की नियुक्ति की , जैसे 1938 पीरपुर रिपोर्ट में कांग्रेस सरकार के झूठे अत्याचारों का वर्णन था | इसी तरह बिहार में शरीफ रिपोर्ट आयी थी|  जिन्ना ने कांग्रेस मंत्री मंडलों के इस्तीफे के बाद 22 दिसंबर 1939 को मुक्ति दिवस मनाया , जिसमें मुस्लिमों में कांग्रेस के प्रति घृणा और लीग के प्रति अपार भक्ति उभरे |                   मुस्लिमों के पृथक देश ( होमलैंड ) की प्रथम बार एक निश्चित अभिव्यक्ति 1930 की मुस्लिम लीग के इलाहाबाद अधिवेशन  के मोहम्मद इकबाल के अध्यक्षीय भाषण से हुई|  जबकि कैंब्रिज विश्वविद्यालय के एक छात्र चौधरी रहमत अली ने 1933 में...

Tripuri session of Congress 1939 | Haripura session of Congress 1938 |

 कांग्रेस का त्रिपुरी संकट- 1939. कांग्रेस के हरीपुरा ( गुजरात ) अधिवेशन ( फरवरी 1938 )में सुभाष चंद्र बोस निर्विरोध अध्यक्ष निर्वाचित हुए  | इस अधिवेशन में कांग्रेस ने अपनी रजवाड़ों से ना जुड़ने वाली नीति का त्याग कर दिया |                   1939 के त्रिपुरी (जबलपुर , मध्य प्रदेश) सम्मेलन में अध्यक्ष पद हेतु चुनाव में सुभाष चंद्र बोस , गांधीजी समर्थित पट्टाभिसीतारमैय्या से 1377 मतों के मुकाबले 1580 मतों से जीत गए | इसके बाद महात्मा गांधी ने कहा कि यह पट्टाभिसीतारमैय्या की हार नहीं व्यक्तिगत मेरी हार है |               कांग्रेस की त्रिपुरी अधिवेशन के पश्चात सुभाष चंद्र बोस और कांग्रेस के दक्षिणपंथी नेताओं का समस्त झगड़ा कांग्रेस की कार्यकारिणी समिति के गठन के प्रश्न पर केंद्रित हो गया|  गोविंद बल्लभ पंत द्वारा प्रस्ताव प्रस्तुत कर सुभाष चंद्र बोस से कहा गया कि वह गांधी जी के इच्छा अनुसार अपनी कार्यसमिति बनाएं परंतु गांधी जी इसे अस्वीकार कर सुभाष से अपनी मर्जी से कार्यसमिति बनाएं | सु...

Provincial Elections -1937 | प्रांतीय चुनाव -1937|

 प्रांतीय चुनाव -1937. अप्रैल 1936 में लार्ड लिनलिथिगो नए वायसराय बने, जिसे 1935 ईसवी के कानून को लागू करने की जिम्मेदारी सौंपी गई | 1937 ई० मे इस कानून (भारत शासन अधिनियम 1935) के अनुसार चुनाव हुए |                  काग्रेस ने चुनाव प्रचार के लिए एक समिति का गठन किया | जिसमें डॉ राजेंद्र प्रसाद , भूलाभाई देसाई , अबुल कलाम आजाद , सी० राजगोपालाचारी , वल्लभभाई पटेल,  आचार्य नरेंद्र देव, पंडित गोविंद बल्लभ पंत   थे |                 कुल 1585 सीट में से 715 सीट कांग्रेस पाकर 6 प्रांतों में पूर्ण बहुमत  (मद्रास ,मुंबई ,बिहार, मध्य प्रांत , उड़ीसा, संयुक्त प्रांत ) तथा पश्चिमोत्तर सीमा प्रांत ,  असम में मिली जुली सरकार बनाई | शेष पंजाब,  बंगाल व सिंध  में गैर कांग्रेसी सरकार बनी|                 1937 के संयुक्त प्रांत में हुए चुनाव में कुल निर्धारित सीटों की संख्या 228 थी |इसमें कांग्रेस को 134 स्थान , मुस्लिम लीग को 27...

Lucknow and Faizpur session of Congress 1936. | Where and when was the Congress Samajwadi Party established?|

 Where and when was the Congress Samajwadi Party established? कांग्रेस समाजवादी पार्टी -1934. 17 मई 1934 ईस्वी को कांग्रेस समाजवादियो का एक सम्मेलन पटना में हुआ , जिसके अध्यक्ष आचार्य नरेंद्रदेव   तथा महासचिव या संयोजक जय प्रकाश नारायण थे | इसके अन्य सदस्यों में डॉ राम मनोहर लोहिया,  अशोक मेहता , मीनू मसानी,  गंगा शरण सिंह   इत्यादि थे इस सम्मेलन में सुनिश्चित किया गया कि कांग्रेस पार्टी के अंदर ही समाजवादियों का एक अखिल भारतीय संगठन बनाया जाए | फलस्वरुप कांग्रेस समाजवादी का पहला अखिल भारतीय सम्मेलन 21 अक्टूबर 1934 ईस्वी को मुंबई में हुआ|  इसकी अध्यक्षता आचार्य नरेंद्र देव ने की थी |  इनके उद्देश्य निम्न थे- भारत को ब्रिटिश उपनिवेश शासन से पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त हो | भारतीयों के लिए स्वयं अपना संविधान बनाने की स्वतंत्रता हो | स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत में समाजवादी मूल्यों की स्थापना की जाए | व्यक्तिगत संपत्ति की अवधारणा खत्म किया जाए | कांग्रेस समाजवादी पार्टी की सदस्यता ग्रहण करने के लिए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण करन...

1. Why was the Third Round Table Conference held in London in 1932? 2. What was the Third Round Table Conference? 3. Who were the participants of the Third Round Table Conference? 4. What was the result of the Third Round Table Conference?| तृतीय गोलमेज सम्मेलन- 1932 |

 1. Why was the Third Round Table Conference held in London in 1932. 2. What was the Third Round Table Conference? 3. Who were the participants of the Third Round Table Conference? 4. What was the result of the Third Round Table Conference? तृतीय गोलमेज सम्मेलन- 1932 . तीसरा गोलमेज सम्मेलन 17 नवंबर 1932 ईस्वी को लंदन में बुलाया गया था , जिसमें कुल 46 प्रतिनिधियों ने भाग लिया | कांग्रेस पार्टी ने इस सम्मेलन का बहिष्कार किया था |  इस बार सम्मेलन में लेबर पार्टी   ने भाग नहीं लिया था |  मोहम्मद अली जिन्ना   को भी इसमें बुलाया नहीं गया था | सम्मेलन मात्र औपचारिकता था  और असफल भी रहा |                 इस सम्मेलन में डॉ आंबेडकर , बेगम जहानतारा शहनवाज, तेज बहादुर सप्रू इत्यादि सम्मिलित हुए थे|                 सितंबर 1931 से मार्च 1933 तक पर्यवेक्षक के रुप में तत्कालीन भारत सचिव सर सैमुअल होअरे   ने एक प्रस्ताव बनाया | यह प्रस्ताव भारत शासन अधिनियम 1935 था | अप्रैल 1933 में इंग्...

1. What are communal awards?2.What was the impact of the award ?| सांप्रदायिक अवार्ड | What is Poona Pact? |

1. What are communal awards? 2.What was the impact of the award ?  सांप्रदायिक निर्णय- 16 अगस्त 1932. द्वितीय गोलमेज सम्मेलन असफल होने पर ब्रिटिश प्रधानमंत्री रैम्जे मैकडोनाल्ड ने घोषणा की, कि भारतीय प्रतिनिधि सांप्रदायिक समस्या को हल करने में ब्रिटिश भारतीय असफल रहे हैं | इसके बाद 16 अगस्त 1932 ईस्वी को प्रधानमंत्री रैम्जे मैकडोनाल्ड ने सांप्रदायिक समस्या पर एक योजना प्रस्तुत की जिसे सांप्रदायिक पंचाट या निर्णय कहा जाता है, इसमें निम्नलिखित बातें थी- इसके अंतर्गत मुसलमानों,  सिक्खो, ईसाईयों, एंग्लो- इंडियन और महिलाओं के लिए पृथक निर्वाचन प्रणाली को स्वीकार किया गया था| इस निर्णय द्वारा सरकार ने निम्नलिखित जातियों एवं वर्गों को अल्पसंख्यक के रूप में मान्यता दी -              मुसलमान, दलित  , पिछड़ी जातियाँ,  भारतीय ईसाई , एंग्लो इंडियन , यूरोपियन,  व्यापारी एंव उद्योग वर्ग , जमीदार वर्ग , मजदूर वर्ग , विश्वविद्यालय के प्रतिनिधि, सिक्ख | इस निर्णय में हरिजनों (दलितों ) को हिंदुओं से पृथक मानकर उनके लिए पृथक निर्वाचन...

1. What is the Second Round Table Conference? 2. What were some of the takeaways from the conference? 3. What should companies be focusing on in the upcoming year?

 1. What is the Second Round Table Conference? 2. What were some of the takeaways from the conference? 3. What should companies be focusing on in the upcoming year? द्वितीय गोलमेज सम्मेलन- 5 मार्च 1931 गांधी जी व इरविन समझौते के अनुरूप , जिसे कांग्रेस ने 29 मार्च 1931 को कराची अधिवेशन में पारित किया , में कांग्रेस पार्टी द्वितीय गोलमेज सम्मेलन   में भाग लेने को तैयार हो गई|                      गांधीजी के निवेदन पर सरकार ने द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में मदन मोहन मालवीय तथा सरोजिनी नायडू को व्यक्तिगत रूप से भाग लेने के लिए आमंत्रित किया|  यद्यपि गांधीजी ने डॉक्टर अंसारी को भी सिफारिश की थी लेकिन सरकार नहीं मानी|                         गांधी जी 29 अगस्त 1931 को एस० एस० राजपूताना नामक पानी के जहाज से इंग्लैंड रवाना हुए और 12 सितंबर 1931 को लंदन पहुंचे तथा ये लंदन की किंग्सले हाल में ठहरे थे|                     ...

Karachi Session of Congress -1931

 कांग्रेस का कराची अधिवेशन -1931. 23 मार्च 1931 को लंदन षड्यंत्र कांड के आरोपी भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को लाहौर जेल में फांसी दे दी गई |  5 मार्च 1931 को हुए गांधी - इरविन समझौते को मंजूरी देने के लिए सरदार वल्लभ भाई पटेल   की अध्यक्षता में 29 मार्च 1931 को कांग्रेस का सम्मेलन कराची में संपन्न हुआ | इसी अधिवेशन में गांधी जी का प्रबल विरोध किया गया|  जिसका कारण था कि भगत सिंह ,सुखदेव व  राजगुरु को फांसी हो जाना | गांधीजी इस विरोध पर बोले-" गांधी मर सकता है, गांधीवाद नहीं" |                          1931 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कराची अधिवेशन में गांधी इरविन पैक्ट को मंजूरी दी गई | इसी अधिवेशन में मूल अधिकारों तथा आर्थिक कार्यक्रम पर संकल्प पंडित जवाहरलाल नेहरू ने प्रारूपिक किया था तथा एन०एम० राय ने इसमें सहयोगी की भूमिका निभाई थी| इस अधिवेशन में मौलिक अधिकार के साथ-साथ पूर्ण स्वराज्य को कांग्रेस में परिभाषित किया |                   ...

What was the Gandhi Irwin Pact?| गांधी-इरविन समझौता- 5 मार्च 1931.

 1. What the Gandhi-Irwin Pact was.  2. Impact of the Gandhi-Irwin Pact  3. What was the Gandhi Irwin Pact?  4. How the Gandhi Irwin Pact affected the independence movement?  Conclusion: This pact was an agreement signed between the Indian National Congress and the British. This pact ensured that there would be no more civil disobedience till the Simon Commission arrived in India and the British Government agreed to create a Royal Commission to study the Indian constitutional problem. गांधी-इरविन समझौता - 5 मार्च 1931. इस समझौते को " दिल्ली पैक्ट "भी कहा जाता है | सविनय अवज्ञा की तीव्रता और प्रथम गोलमेज सम्मेलन की असफलता से ब्रिटिश सरकार यह भली-भांति जान चुकी थी कांग्रेस का सहयोग जरूरी है | इस कारण उसने सर तेज बहादुर सप्रू और डॉक्टर जयकर   को कांग्रेस और सरकार के बीच मध्यस्थता के लिए लगाया | अच्छा माहौल बनाने के लिए कांग्रेस से प्रतिबंध हटा कर सभी कांग्रेसी नेताओं को रिहा कर दिया गया|  26 जनवरी 1931 को गांधी जी को भी बिना शर्त रिहा कर दिया गया|  ...

What is the first round table conference?| प्रथम गोलमेज सम्मेलन|

 1. What is the first round table conference?  2. How was the first table round conference different from a normal conference?  3. What did you learn from the first round table conference?  Conclusion: The first table round conference was a great experience and it was interesting to hear other peoples' views and the things they learned. प्रथम गोलमेज सम्मेलन- 27 मई 1930 ईस्वी को साइमन कमीशन की रिपोर्ट प्रकाशित हुई |राजनीतिक संगठनों ने कमीशन की सिफारिशों को अस्वीकार कर दिया| कांग्रेस के प्रमुख नेता जेल में थे, ब्रिटिश सरकार ने निराशा एवं असंतोष के वातावरण में 12 नवंबर 1930 ईस्वी को लंदन के सेंट जेम्स पैलेस में प्रथम गोलमेज सम्मेलन प्रारंभ हुआ| जो 19 जनवरी 1931 तक चला|  जिसमें कुल 89 भारतीय प्रतिनिधि शामिल हुए थे| भारतीय प्रतिनिधियों ने तेज बहादुर सप्रू , श्रीनिवास शास्त्री, डॉक्टर भीमराव अंबेडकर तथा चिंतामणि   विशेष थे | देशी रियासतों में अलवर, बीकानेर ,भोपाल, पटियाला ,बडौदा, ग्वालियर तथा मैसूर राज्यों के प्रतिनिधि थे | इस सम्मेलन में भारतीय राष्ट्री...

1. What is Civil Disobedience? 2. The Different Forms of Civil Disobedience 3. Why is Civil Disobedience Important?| सविनय अवज्ञा आंदोलन |

 सविनय अवज्ञा आंदोलन- 26 जनवरी 1930 ईस्वी को स्वाधीनता दिवस मनाने के बाद गांधी जी के नेतृत्व में सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू हुआ|  यह आंदोलन गांधी जी का प्रसिद्ध दांडी यात्रा से शुरू हुआ|   इसके लिए 14 से 16 फरवरी 1930 को साबरमती आश्रम में कांग्रेस वर्किंग कमेटी ने महात्मा गांधी को आंदोलन का नेतृत्व सौंप दिया|    12 मार्च 1930 ईस्वी को गांधीजी ने अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से , आश्रम के अन्य 78 सदस्यों के साथ,  दांडी की ओर पैदल यात्रा शुरू की|  दांडी, अहमदाबाद से लगभग 385 किलोमीटर दूर भारत के पश्चिमी समुद्री तट पर है|                गांधी जी और उनके साथी 6 अप्रैल 1930 ईस्वी को दांडी पहुंचे|  गांधी जी ने नमक कानून तोड़ा |  नमक के उत्पादन पर सरकार का एकाधिकार था|  इसलिए किसी के लिए भी नमक बनाना गैरकानूनी था|  समुद्र के पानी के वाष्पीकरण के बाद बने नमक को उठाकर गांधी जी ने सरकारी कानून तोड़ा|                नमक कानून तोड़ने के बाद सारे देश में सविनय अ...

What are the 11 sutras of Gandhiji ? | गांधीजी के 11 सूत्र |

 गांधीजी के 11 सूत्र - लाहौर अधिवेशन के बाद 30 जनवरी 1930 ईस्वी को गांधी जी ने अपने समाचार पत्र " यंग इंडिया  "में अपनी 11 मांगे प्रस्तुत की , और सरकार को यह धमकी दी कि अगर सरकार इन सूत्रों को मान ले तो वह सविनय अवज्ञा आंदोलन को नहीं करेंगे|  यह सूत्र इस प्रकार थे| रुपए की विनिमय दर घटाकर 1 शिलिंग 4 पेंस कर दी जाए|  लगान में 50% की कमी कर दी जाए | सिविल अफसरों के वेतन आधे कर दिए जाएं | सेना के खर्चे में 50% की कमी कर दी जाए | रक्षात्मक शुल्क लगाया जाए और विदेशी कपड़ों का आयात कम कर दिया जाए | नमक पर से टैक्स खत्म किया जाए | तटीय यातायात रक्षा विधेयक पारित किया जाए | सीआईडी विभाग खत्म कर दिया जाए | भारतीयों का आत्म रक्षार्थ आग्नेय अस्त्र रखने का लाइसेंस दिया जाए| नशीली वस्तुओं के विक्रय को बंद कर दिया जाए | उन सभी राजनीतिक कैदियों की रिहाई कर दी जाए जिन पर हत्या का आरोप ना हो|

What is the Lahore session 1929?| कांग्रेस का लाहौर अधिवेशन-1929|

 कांग्रेस का लाहौर अधिवेशन-1929. 31 अक्टूबर 1929 को वायसराय लार्ड इरविन की घोषणा- महामहिम की सरकार की तरफ से मांटेग्यू घोषणा 1917 में यह निहित है कि भारत की संवैधानिक प्रगति का स्वाभाविक प्रश्न जैसा उसमें सोचा गया है , डोमिनियन स्टेट  (अधिराज्य) की प्राप्ति है|                 इस घोषणा के बाद सभी भारतीय नेता को अधिराज्य की प्राप्ति की आशा दिखने लगी | परिणाम स्वरूप सभी प्रमुख नेता दिल्ली में एकत्रित हो गए , और एक  घोषणा पत्र तैयार किया जिसमें कहा गया था कि " हमें आशा है कि इस घोषणा में ईमानदारी है और हम भी महामहिम को इस कार्य में सहयोग करेंगे " |               इस घोषणा को दिल्ली घोषणा पत्र भी कहते हैं इस पर गांधीजी ,एनी बेसेंट ,तेज बहादुर सप्रू, मोतीलाल नेहरू, जवाहरलाल नेहरू इत्यादि ने हस्ताक्षर किये |   23 दिसंबर 1929 को राष्ट्रीय नेता वायसराय से मिले परंतु अधिराज्य पर कोई आश्वासन नहीं मिला|             कांग्रेस का वार्षिक अधिवेशन 1929 में लाहौर में ...

What are the 14 Sutras of Muhammad Ali Jinnah ? | जिन्ना के 14 सूत्र

 जिन्ना के 14 सूत्र- मोहम्मद अली जिन्ना ने नेहरू रिपोर्ट की कई धाराओं पर आपत्ति प्रकट कर दी . | इन आपत्ति पर सर्वदलीय सम्मेलन ने स्वीकार नहीं किया|  जिन्ना ने अपनी अलग योजना प्रस्तुत की जिस के प्रावधान इस प्रकार हैं- भारत में भावी संविधान का स्वरूप संघात्मक होना चाहिए तथा अवशिष्ट शक्तियां केंद्र के पास होनी चाहिए| सभी प्रांतों को एक समान स्वायत्तता प्रदान की जाए| अल्पसंख्यक समुदाय को पर्याप्त प्रतिनिधित्व दिया जाए| केंद्रीय विधान मंडल में मुसलमानों को कम से कम एक तिहाई स्थान | अल्पसंख्यक वर्गों के लिए पृथक निर्वाचन प्रणाली के आधार पर प्रतिनिधित्व | किसी भी प्रांत के विभाजन से पंजाब ,बंगाल और पश्चिमोत्तर सीमा प्रांतो में मुसलमानों के बहुमत पर प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए| सभी संप्रदाय वालों को अपने धार्मिक विश्वास, उपासना, त्यौहार ,प्रचार ,सम्मेलन तथा शिक्षा की पूर्ण स्वतंत्रता होनी चाहिए| कोई संप्रदाय किसी भी विधेयक पर 3/4 मत विरोध करे तो पास नहीं हो| सिंध को मुंबई प्रांत से अलग कर देना चाहिए| सीमांत और बलूचिस्तान प्रांतों में सुधार किया जाना चाहिए| सभी सरकारी सेवाओं में मुसल...

Nehru Report 1928 : Read the Full Report: A blog post describing what the report is, why it is important and how it is related to India.| नेहरू रिपोर्ट- 1928|

 नेहरू रिपोर्ट -1928. साइमन कमीशन में किसी भारतीय के ना होने पर तीव्र विरोध हुआ था | कमीशन में किसी भारतीय को ना लिए जाने का कारण सरकार ने बताते हुए कहा कि पारस्परिक मतभेद बहुत है|  भारत मंत्री लॉर्ड वर्किन हेड ने इसी अवसर पर भारतीयों को चुनौती दी कि वह एक ऐसा संविधान बनाये जिस पर सभी राजनीतिक दल सहमत हो|                19 मई 1928 ईस्वी एक सर्वदलीय सम्मेलन मुंबई में हुआ , जिसकी अध्यक्षता डॉ एम० ए० अंसारी   ने की थी | इस अधिवेशन में संविधान निर्माण करने के लिए एक समिति गठित की गई, जिसके अध्यक्ष पंडित मोतीलाल नेहरु   बनाए गए, इसके अन्य सदस्य थे- तेज बहादुर सप्रू , सुभाष चंद्र बोस,  अली, इमाम ,शोएब कुरैशी, एम०एस०अणे, जयकर,  एन०एम० जोशी ,मंगल सिंह, पंडित जवाहरलाल नेहरू (सचिव)|  28 अगस्त 1928 को लखनऊ में सर्वदलीय सम्मेलन में इसकी रिपोर्ट प्रस्तुत की गई| 22 दिसंबर 1928 से 1 जनवरी 1929 तक एक सर्वदलीय सम्मेलन कोलकाता में हुआ जिसकी अध्यक्षता डॉ०अंसारी ने की|  इस सम्मेलन में अंतिम रूप से रिपोर्ट प्रस्तुत की गई...

What is the Simon Commission? Details around what it is and what it effects.|साइमन कमीशन |

 साइमन कमीशन- तत्कालीन गवर्नर जनरल लार्ड इरविन (1926 से 1931) के सुझाव पर ब्रिटिश सरकार ने भारत शासन अधिनियम 1919 में जांच करने के लिए एक आयोग की घोषणा 1927 में कर दी | इस आयोग के अध्यक्ष सर जॉन साइमन  थे इसके 6 अन्य सदस्य- वर्नहम स्ट्रेथ कोना लेन फोक्स कैडेगन क्लिमेंट एटली बर्नोन हार्टशोर्न यह आयोग समय से पहले गठित कर दिया गया था क्योंकि ब्रिटेन में चुनाव होने वाला था | सत्ता दल कंजरवेटिव को यह डर था, कि उदारवादी पार्टी सत्ता प्राप्त कर भारतीयों को कुछ सुविधा प्रदान कर सकती है |      कमीशन की नियुक्ति से सारे देश में विरोध की लहर फैल गई|  दिसंबर 1927 में कांग्रेस का वार्षिक अधिवेशन मुख्तार अहमद अंसारी (m.a. अंसारी) के नेतृत्व में मद्रास में हुआ  | इसी अधिवेशन में साइमन कमीशन का विरोध करने का फैसला लिया गया |  मोहम्मद अली जिन्ना के नेतृत्व में मुस्लिम लीग ने भी साइमन कमीशन का बहिष्कार का फैसला लिया|                 कमीशन 3 फरवरी 1928 को इंग्लैंड से मुंबई पहुंचा | उस दिन सारे देश में हड़ताल हुई | मद...