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Showing posts from March, 2022

1. Why a Swaraj Party? 2. Difference from other freedom parties 3. Difference from Congress 4. Difference from other national parties Conclusion: How is the Swaraj party going to be the game changer for India?| स्वराज पार्टी|

 स्वराज पार्टी- असहयोग आंदोलन वापस लेने के बाद कांग्रेस दो दलों में बट गई | एक दल , जिसका नेतृत्व चितरंजन दास ,मोतीलाल और विट्ठल भाई पटेल कर रहे थे , चाहता था कि कांग्रेस को चुनाव में भाग लेना चाहिए और परिषदों को उनके भीतर पहुंचकर तोड़ना चाहिए|  दूसरा दल , जिसका नेतृत्व सरदार वल्लभभाई पटेल, चक्रवर्ती राजगोपालाचारी और राजेंद्र प्रसाद कर रहे थे, इस प्रस्ताव का विरोध था| वे चाहते थे कांग्रेश रचनात्मक कार्य में लगी रहें |              कांग्रेस के गया अधिवेशन   दिसंबर 1922 में चुनाव में भाग लेने की स्वीकृति ना हो सकी | इस अधिवेशन की अध्यक्षता चितरंजन दास   ने की थी|   परिणाम स्वरूप 1 जनवरी 1923 ईस्वी परिवर्तन की पक्षधरो ने इलाहाबाद में अपना एक अखिल भारतीय सम्मेलन किया, जिसमें स्वराज पार्टी की स्थापना की|  सी०आर०दास अध्यक्ष तथा मोतीलाल नेहरू के महासचिव थे | स्वराज पार्टी का उद्देश्य था कि कांग्रेस की एक अभिन्न अंग के रूप में रहते हुए चुनाव में भाग लेना तथा सरकारी कामकाज में अवरोध पैदा करना|       ...

what was Chauri Chaura incident ? | चौरी चौरा की घटना |

 चौरी चौरा की घटना- यह घटना 5 फरवरी  को गोरखपुर की जिले की चोेैरी-चोैरा कस्बे में घटी,  इस दिन यहां असहयोग आंदोलन का एक जुलूस निकला,  जिसका नेतृत्व भूतपूर्व सैनिक भगवान अहीर  कर रहा था|  जुलूस पर पुलिस वालों ने गोली चला दी,  प्रतिक्रिया स्वरुप उग्र जनता ने पुलिस स्टेशन पर हमला करके आग लगा दी |  स्टेशन के अंदर 22 पुलिसकर्मियों की मृत्यु हो गई | यह गांधीवादी रणनीति के अहिंसा वाले सिद्धांत पर एक गहरी चोट थी फलस्वरुप गांधी जी ने क्षुब्ध होकर 12 फरवरी 1922 को कांग्रेस कार्यकारिणी की बैठक में असहयोग आंदोलन को 6 बर्षो के लिए स्थगित करवा दिया | यह प्रस्ताव कांग्रेस कार्यकारिणी की बारदोली बैठक में लिया गया था |   इस परिप्रेक्ष्य में 24 फरवरी 1922 को आयोजित अखिल भारतीय कांग्रेस समिति की दिल्ली में बैठक हुई , जिसमे ऐसे सभी गतिविधियों पर रोक लगा दी, जिनसे कानून का उल्लंघन होता है | इसी अधिवेशन में असहयोग आंदोलन वापस लेने के कारण डॉ० मुंजे   के द्वारा गांधीजी के खिलाफ निंदा प्रस्ताव लाया गया|  सकारात्मक परिणाम - असहयोग आंदोलन के प...

What was the Non-Cooperation Movement?| असहयोग आंदोलन |

असहयोग आंदोलन- 28 जुलाई 1920 ईस्वी को गांधी जी ने घोषणा की थी, कि    1 अगस्त 1920 से असहयोग आंदोलन शुरू होगा |  इसके बाद गांधी जी के द्वारा इस उद्देश्य की पुष्टि कांग्रेस ने अपने विशेष अधिवेशन सितंबर 1920 कोलकाता में कर दी,  जिसकी अध्यक्षता लाला लाजपत राय ने की थी  | इसी अधिवेशन में असहयोग का विरोध सी०आर०दास व मोहम्मद अली जिन्ना   ने  किया | इसी अधिवेशन में असहयोग के कार्यक्रम का प्रस्ताव पारित किया गया , जिसमें दो अन्याय पूर्ण कार्यों के विरुद्ध असहयोग आंदोलन प्रारंभ करने का निर्णय लिया गया | खिलाफत मुद्दे के प्रति ब्रिटिश सरकार का दृष्टिकोण पंजाब की समस्या का निपटारा                     दिसंबर 1920 कांग्रेस का अधिवेशन नागपुर में हुआ , इसकी अध्यक्षता चक्रवर्ती विजयराघवाचारी ने की थी  | इस अधिवेशन में असहयोग प्रस्ताव सी०आर०दास ने प्रस्तावित किया था | असहयोग प्रस्ताव पर व्यापक चर्चा के बाद पारित कर दिया गया तथा कांग्रेस का लक्ष्य स्वराज घोषित किया गया | इसके लिए निम्न कार्यक्रम निर्धारित ...

What Is The Khilafat Movement And What Did It Do? The movement began in 1919.| खिलाफत आंदोलन

 खिलाफत आंदोलन- सितंबर 1919. प्रथम विश्व युद्ध में तुर्की ने ब्रिटेन के विरुद्ध लड़ाई लड़ी थी |  युद्ध के बाद पराजित तुर्की को ब्रिटेन के अत्याचारों का शिकार होना पड़ा | इन अन्याय के विरुद्ध 1919 ईस्वी   में मोहम्मद अली तथा शौकत अली    (जो अली बंधुओं के नाम से प्रसिद्ध थे ) , अब्दुल कलाम आजाद और हसरत मोहानी   ने आंदोलन शुरू किया | युद्ध के दौरान सभी नेताओं को बंदी बनाया गया था , युद्ध के बाद सभी नेताओं को छोड़ दिया गया |  इस आंदोलन के लिए एक खिलाफत कमेटी   का गठन किया गया था , इस कमेटी में गांधीजी भी शामिल हो गए|  तुर्की के सुल्तान को खलीफा (मुसलमानों का धार्मिक नेता ) भी माना जाता था|  इसलिए तुर्की में हो रहे अन्याय के प्रति आंदोलन चलाया गया,  उसे खिलाफत आंदोलन का नाम दिया गया |  इस आंदोलन ने असहयोग का नारा दिया |                    कांग्रेस ने खिलाफत आंदोलन का समर्थन खलीफा की पुनः स्थापना तथा मुसलमानों की सहानुभूति पाने के लिए किया था | गांधीजी के अनुसार यह हिं...

Jallianwala Bagh Massacre: What Happened on 13 April 1919?| जलियांवाला बाग हत्याकांड

Jallianwala Bagh Massacre:  What Happened on 13 April 1919? जलियांवाला बाग हत्याकांड- अखिल भारतीय राजनीति में गांधीजी का पहला साहसिक कदम रौलट एक्ट के विरुद्ध 1919 में प्रारंभ सत्याग्रह था | गांधी जी ने रौलट एक्ट सत्याग्रह के लिए तीन राजनीतिक मंचों का उपयोग किया था - होमरूल लीग , खिलाफत एवं सत्याग्रह सभा |  दमन की इसी दौर में अमृतसर में सामूहिक हत्या की एक नृशंस घटना हुई 10 अप्रैल 1919 को दो राष्ट्रवादी नेता सत्यपाल और सैफुद्दीन किचलू   गिरफ्तार कर लिए गए |         13 अप्रैल 1919 को अमृतसर में जलियांवाला बाग   में उन दोनों नेताओं की गिरफ्तारी पर विरोध प्रकट करने के लिए जनता एकत्रित हुई |  सभा शांतिपूर्ण थी |  सभा में काफी संख्या में वृद्ध पुरुष,  स्त्रियों और बच्चे भी थे | तभी अचानक ब्रिटिश अफसर माइकल ओडायर  (तत्कालीन लेफ्टिनेंट-गवर्नर) अपने सैनिकों को लेकर पार्क में पहुंचा |  बिना चेतावनी दिए ही सैनिकों को गोली चलाने का आदेश दे दिया | उसके सैनिक 10 मिनट तक गोली चलाते रहे और जब गोली खत्म हो गई तो वह वहां से चले गए | ह...

What is Rowlatt Act - 1919?

 रौलट एक्ट- 1919.   प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद लोगों को स्वराज प्राप्त की उम्मीद थी , लेकिन जल्द ही निराशा में बदल गई | सारे देश में व्यापक असंतोष फैल गया | भारत में बढ़ रही क्रांतिकारी गतिविधियों को कुचलने के लिए सरकार ने 1917 में न्यायाधीश की सिडनी रौलट की अध्यक्षता में एक समिति गठित की ,  जिसका उद्देश्य आतंकवाद को कुचलने के लिए एक प्रभावी योजना का निर्माण करना था | इसके सुझाव पर मार्च 1919 में पारित विधेयक रौलट एक्ट के नाम से जाना गया | रौलेट अधिनियम के द्वारा अंग्रेजी सरकार जिसको चाहे जब चाहे जब तक चाहे , बिना मुकदमा चलाए जेल में बंद रख सकती है,   इसलिए इस कानून को बिना वकील , बिना अपील तथा बिना दलील  वाला कानून कहा गया |       परिषद ने इसका विरोध किया था | कई नेताओं ने अपने इस्तीफे दे दिए | मोहम्मद अली जिन्ना ने अपने इस्तीफे में कहा था " जो सरकार शांति काल में ऐसे कानून को स्वीकार करती है वह अपने को सभ्य सरकार कहलाने का अधिकार खो बैठती है"|                दमन के नए तरीके को काले क...

What is the Montagu Declaration 20 August 1917| मांटेग्यू घोषणा -20 अगस्त 1917

  मांटेग्यू घोषणा -20 अगस्त 1917:- आंदोलन के उबाल को रोकने के लिए 20 अगस्त 1917 को भारत सचिव मांटेग्यू की घोषणा प्रसारित की गई | इसमें कहा गया कि " भारत में ब्रिटिश शासन का लक्ष्य स्वशाशित  संस्थाओं का क्रमिक विकास है ताकि ब्रिटिश साम्राज्य की एक अभिन्न अंग के रूप में क्रमशः उत्तरदायित्वपूर्ण शासन स्थापित किया जा सके " | इस घोषणा में आगे कहा गया कि जितनी जल्द हो सकेगा इस दिशा में कदम उठाया जाएगा |                  इस घोषणा के बाद 6 अक्टूबर 1917 ईस्वी में  ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी और मुस्लिम लीग कमेटियों की संयुक्त बैठक इलाहाबाद में हुई,  जिसमें सत्याग्रह विचार को त्याग दिया गया |  मांटेग्यू घोषणा के बाद एनी बेसेंट तथा अन्य लीगी नेताओं को रिहा कर दिया गया |                  इस घोषणा की स्वीकृति के प्रश्न पर कांग्रेस में एक बार पुनः फूट पड़ गई | पहली फूट (सूरत 1907) में गरम पंथी अलग हो गए थे| लेकिन इस बार नरमपंथी कांग्रेस से अलग हो गए | मांटेग्यू की घोषणा का नरम पंथियो...

About Mahatma Gandhi. |खेड़ा आंदोलन |चंपारण सत्याग्रह|

 महात्मा गांधी-  मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869   को गुजरात के तटीय शहर पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था | इनके पिता करम चंद्र गांधी व माता पुतलीबाई थी | पुतलीबाई करमचंद्र की चौथी पत्नी थी , उनकी पहली तीन पत्नियां प्रसव के समय मर गई थी, |  करमचंद्र गांधी उपनाम कबा गांधी एक राजनीतिक व्यक्ति थे,  यह पोरबंदर, राजकोट व वीकानेर रियासत में दीवान (प्रधानमंत्री) पद पर कार्य कर किए थे |                  मई 1883 में महात्मा गांधी का विवाह 14 साल की कस्तूरबा माखनजी से कर दिया गया | जब गांधी जी 15 वर्ष की थे , तब इनकी पहली संतान में जन्म लिया लेकिन कुछ ही दिन मे मृत्यु हो गई | बाद में हरिलाल गांधी 1888 में, मणिलाल गांधी 1892 में, रामदास गांधी 1897 में और देवदास गांधी 1900 में जन्मे|               4 सितंबर 1888 को गांधी,  यूनिवर्सिटी लंदन में कानून की पढ़ाई करने और बैरिस्टर बनने के लिए इंग्लैंड चले गए | बैरिस्टर बनने के बाद भारत लौटे | मुंबई में वकालत करने में उन्हें ...

About Annie Besant |

Where was Annie Besant born?-  एनी बेसेंट- डॉक्टर एनीबेसेंट का जन्म 1 अक्टूबर 1847 को लंदन में हुआ था |  1889 में एनी बेसेंट थियोसोफी के विचारों से प्रभावित हुई | उनका भारत आगमन 1893 में हुआ | सन् 1906 तक  इनका अधिकांश समय वाराणसी में बीता |  वे 1907 में थियोसोफिकल सोसायटी की अध्यक्ष निर्वाचित हुई |  वर्ष 1914 में लंदन में होमरूल लीग की स्थापना किया | अपने दो दैनिक समाचार पत्र कामनवील और न्यू इंडिया का प्रकाशन शुरू कर दिया, |  सन् 1916 में हुआ लखनऊ समझौता में उदारवादियों तथा  उग्रवादियों के मिलन में एनीबेसेन्ट  की महती भूमिका थी |                   15 जून 1917 को एनीबेसेंट,  जी० एस० अरुंडेल तथा बी०पी० वाडिया की नजरबंदी का आदेश दिया गया | एनी बेसेंट के गिरफ्तारी के विरोध में सर एस० सुब्रमण्यम अय्यर ने नाइटहुड (सर) की उपाधि लौटा दी , ऐसा करने वाले प्रथम भारतीय थे |  एनी बेसेंट की नजरबंदी का पूरे देश में तीव्र विरोध किया गया और एनी बेसेंट की लोकप्रियता बढ़ती गई , परिणाम स्वरूप 1917...

How to the Home Rule League was founded | होमरूल लीग आंदोलन-1916 |

 होमरूल लीग आंदोलन 1916- भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में 1916 ईस्वी स्वायत्तशासी शासन की मांग का एक शक्तिशाली वर्ष था, | 1914 ईस्वी में जेल से छूटने के बाद बाल गंगाधर तिलक   राष्ट्रीय आंदोलन को गति प्रदान करने के लिए एक अलग तरह के संगठन की आवश्यकता महसूस हुई| इसके साथ एनी बेसेंट भी स्वायत्त शासन की प्रबल समर्थक थी , क्योंकि उनका  संपर्क होमरूल आंदोलन के प्रणेता रेंडमास से था  |             8 मई 1915 ईस्वी को पुणे के एक सम्मेलन में जोसेफ बपिस्ता ने होम रूल लीग की स्थापना का विचार प्रकट किया |   27 से 29 अप्रैल 1916 को पुणे में होमरूल लीग की स्थापना हुई | इसके अध्यक्ष जोसेफ बपिस्ता  चुने गए  तथा सचिव एन०सी० केलकर   , बाल गंगाधर तिलक ने कोई भी पद स्वीकार नहीं किया था, |  इस होमरूल लीग का उद्देश्य  " ब्रिटिश साम्राज्य के अंतर्गत समस्त वैधानिक उपायों द्वारा स्वशासन प्राप्त करना तथा इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए जनमत को संगठित एवं शिक्षित करना " बाल गंगाधर तिलक   की होमरूल लीग का क्षेत्र कर्नाटक,...

What is Lucknow Pact | When was the Congress Lucknow session held?

 कांग्रेस का लखनऊ अधिवेशन (लखनऊ पैक्ट)- कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन का ऐतिहासिक महत्व था इसमें कांग्रेस के नरमपंथी और गरम पंथी दलों का सम्मिलन हुआ | तथा मुस्लिम लीग और कांग्रेस में समझौता हुआ |          1913 ईस्वी के कराची अधिवेशन में लीग ने घोषणा की थी , कि  लीग का उद्देश्य है साम्राज्य के अंदर हिंदुस्तान के लिए स्वराज्य हासिल करना और उसके लिए वह हिंदुस्तान के अन्य संगठनों से सहयोग करेगी |             दिसंबर 1915 में कांग्रेस और मुस्लिम लीग के अधिवेशन एक साथ बम्बई में हुए,  यह पहला अवसर था कि लीग और कांग्रेस के अधिवेशन एक साथ हुए |  मुस्लिम लीग की अध्यक्षता मजहर -उल- हक ने किया तथा कांग्रेस पार्टी के अध्यक्षता सत्येंद्र प्रसन्ना सिन्हा(S.P.SINHA) ने किया |         1916 में लखनऊ में भी कांग्रेस और लीग के अधिवेशन साथ- साथ  हुए|  कांग्रेस के अधिवेशन की अध्यक्षता अंबिका चरण मजूमदार ने की | मुस्लिम लीग के अधिवेशन की अध्यक्षता मोहम्मद अली जिन्ना ने की | इसी समय कांग्रेस और लीग  के ...

How to Indian Home Rule Society was established ? | इंडियन होम रूल सोसायटी | How was the Ghadar Party founded? | गदर पार्टी | What is the Kamagatamaru episode?

 इंडियन होम रूल सोसायटी- 18 फरवरी 1905 में लंदन में श्याम कृष्ण वर्मा ने इंडियन होम रूल सोसायटी की स्थापना की , जिसे इंडिया हाउस   के नाम से जाना जाने लगा | इसका समर्थन भीकाजी कामा,  दादा भाई नौरोजी , एस०आर०राना  ने किया | इस संस्था का उद्देश्य अंग्रेजी सरकार को आतंकित कर स्वराज्य की प्राप्ति करना था  | यहां एक समाचार पत्र पत्र सोशियोलॉजिस्ट   का प्रकाशन भी आरंभ किया | लंदन में सरकारी तंत्र के विशेष सक्रिय होने के कारण श्याम जी वहां से पेरिस और अंतत:  जिनेवा चले गए | गदर पार्टी- गदर पार्टी की स्थापना 25 जून 1913   को अमेरिका और कनाडा के भारतीयों ने  मिलकर बनाया|  इसे प्रशांत तट का हिंदी संघ   Hindi Association or Pacific Coast  भी कहा जाता था | यह पार्टी हिंदुस्तान ग़दर नामक पत्रिका उर्दू और पंजाबी में निकालती थी | बाद में इसी पत्रिका के नाम पर इस पार्टी का नाम गदर पार्टी रख दिया गया | इसके संस्थापक अध्यक्ष सोहन सिंह भकना थे , इसके अतिरिक्त उपाध्यक्ष केसर सिंह थथगढ़ , महामंत्री लाला हरदयाल थे | इस पार्टी का मुख्यालय स...

what is lahore conspiracy case? | Indian Republican Army |

 लाहौर षड्यंत्र कांड- लाहौर षड्यंत्र केस में कुल 16 क्रांतिकारियों को गिरफ्तार करके मुकदमा चलाया गया | 26 अगस्त 1930 को भगत सिंह को अपराधी सिद्ध किया | 7 अक्टूबर 1930 को 68 पृष्ठों का निर्णय दिया , जिसमें भगत सिंह , सुखदेव , राजगुरु को फांसी की सजा सुनाई गई |  बटुकेश्वर दत्त को दिल्ली असेंबली बम कांड   में शामिल होने के लिए काले पानी की सजा देकर सेल्यूलर जेल अंडमान भेज दिया गया |  इनके माफीनामा के लिए 10 जनवरी 1931 प्रीवी काउंसिल लंदन,  मदन मोहन मालवीय द्वारा 14 फरवरी 1931 वायसराय,  17 व 18 फरवरी 1931 महात्मा गांधी द्वारा वायसराय से मांगा , लेकिन सभी जगह माफीनामा रद्द कर दिया गया 23 मार्च को फांसी दी गई | इंडियन रिपब्लिकन आर्मी- भारत की आजादी पाने की इच्छा इतनी प्रबल थी कि बहुत से लोगों ने ब्रिटिश फौज की नौकरी छोड़ दी , अंग्रेजों से लोहा लेने के लिए इंडियन रिपब्लिकन आर्मी   का गठन कर लिया| IRA (इंडियन रिपब्लिकन आर्मी)   के गठन का विचार आइरिश रिपब्लिकन आर्मी से प्रेरित था |               IRA गठन से पूरे ...

Where was the Hindustan Socialist Republican Association founded?| Central Assembly bomb case was done by| हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन |केंद्रीय असेंबली बम कांड |

 हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA)- काकोरी कांड के बाद पुलिस द्वारा चलाए गए दमन चक्र के फल स्वरुप हिंदुस्तान रिपब्लिक एसोसिएशन का अस्तित्व कुछ समय के लिए समाप्त हो गया किंतु बाद में विजय कुमार सिंह, शिव वर्मा ,जयदेव कपूर ,भगत सिंह ,भगवती चरण वोहरा तथा सुखदेव ने चंद्रशेखर आजाद के नेतृत्व में HRA को पुनः संगठित करने का कार्य शुरू किया | अगस्त 1928 में फिरोज शाह कोटला मैदान दिल्ली में चंद्रशेखर आजाद के नेतृत्व में HRA का नाम बदलकर HSRA रखा गया | इसका मुख्य उद्देश्य भारत के भारत में समाजवादी, गणतंत्रवादी, राज्य की स्थापना करना था |             1928 में साइमन कमीशन के बहिष्कार के लिए भयानक प्रदर्शन हुए, इन प्रदर्शनों में भाग लेने वालों पर अंग्रेजी शासन ने लाठीचार्ज भी किया , इसी लाठीचार्ज से आहत होकर लाला लाजपत राय की 17 नवंबर 1928 को मृत्यु हो गई |          HSRA के सदस्य एक गुप्त सूचना के तहत पुलिस सुपरिटेंडेंट स्कॉट को मारने की योजना बनाई | 17 दिसंबर 1928 को ए०एस०पी० सांडर्स के आते ही राजगुरु ने गोली मार दी ,अं...

What is Kakori case?

 When did the Kakori incident happen? काकोरी कांड- शचींद्रनाथ सान्याल व योगेंद्र नाथ चटर्जी, हिंदुस्तान प्रजातंत्र संघ( HRA) की ओर से प्रकाशित इश्तहार और उसके संविधान को लेकर बंगाल पहुंचे| वहां पर दोनों को गिरफ्तार कर लिया जाता है और हजारीबाग जेल में बंद कर दिया गया |               दोनों प्रमुख नेताओं की गिरफ्तारी के बाद राम प्रसाद बिस्मिल के कंधों पर उत्तर प्रदेश के साथ-साथ बंगाल के क्रांतिकारी सदस्यों का उत्तरदायित्व भी आ गया|, पार्टी के कार्य ही धन की आवश्यकता के लिए 7 मार्च 1925 बिचपुरी (आगरा) तथा 24 मई द्वारका पुर में जो डकैती डाली परंतु उसमें कुछ विशेष धन हाथ ना आया |आखिरकार उन्होंने निश्चय किया कि अब केवल सरकारी खजाना लूटेंगे |                  योजना अनुसार दल की एक प्रमुख सदस्य राजेंद्र नाथ लाहिड़ी ने 9 अगस्त 1925 को लखनऊ जिले के काकोरी रेलवे स्टेशन से छूटी " 8 डाउन सहारनपुर -लखनऊ पैसेंजर ट्रेन " को चैन खींचकर रोका और क्रांतिकारी पंडित राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में अशफाक उल्ला खान , ...

Who founded the Hindustan Republican Association and when?| What is the Alipur Conspiracy Case?| हिंदुस्तान प्रजातंत्र संघ|अलीपुर षड्यंत्र मामला|

What is the Alipur Conspiracy Case? अलीपुर षड्यंत्र मामला- मुजफ्फरपुर बम कांड के बाद कोलकाता की मणिकतल्ला गार्डन हाउस पर, जिसमे क्रांतिकारी बम बनाने और हथियार चलाने का अभ्यास किया करते थे ,पुलिस ने छापा मारा | अरविंद घोष और उनके भाई बारीन्द्र कुमार घोष सहित 34 लोग अवैध हथियार रखने के आरोप में गिरफ्तार हुए थे | इस मामले में 15 लोगों को सजा हुई थी परंतु अरविंद घोष रिहा कर दिए गए, इस मामले में अरविंद घोष का बचाव एड़ी चोटी का जोर लगाकर चितरंजन दास ने किया था|  अलीपुर षड्यंत्र मामले में ही सरकारी गवाह नरेंद्र गोसाई की कन्हाई लाल दत्त और सत्येंद्र बोस ने जेल में गोली मारकर हत्या कर दी थी ,जिसके कारण उन्हें फांसी की सजा हुई थी | Who founded the Hindustan Republican Association and when? हिंदुस्तान प्रजातंत्र संघ (हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन) -(HRA)- हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन जिसे संक्षेप में HRA भी कहा जाता है , भारत की स्वतंत्रता से पहले उत्तर भारत की एक प्रमुख क्रांतिकारी पार्टी थी , जिसका गठन हिंदुस्तान को अंग्रेजों के शासन से मुक्त कराने के लिए अक्टूबर 1924 में युवा क्रा...

When did the Muzaffarpur bombings happen?| Who founded Abhinav Bharat | Who founded Anushilan Samiti | Who founded the Yugantar Party? | Who founded the Rashtriya Swayamsevak Sangh|

क्रांतिकारी आंदोलन- अपील एवं जन आंदोलनों के जरिए सुधारों तथा स्वराज्य के लिए काम करने वाले गरम दल और नरम दल के अलावा भी देश के कुछ भागों में क्रांतिकारियों के कुछ ऐसे समूह थे और वह अपने सदस्यों को गोला बारूद बनाने और हथियार चलाने का प्रशिक्षण देते थे, यह संगठन महाराष्ट्र और बंगाल में ज्यादा सक्रिय थे , क्रांतिकारियों के दो महत्वपूर्ण संगठन थे महाराष्ट्र में अभिनव भारत सोसायटी और बंगाल में अनुशीलन समिति | इसके सदस्यों ने बदनाम ब्रिटिश अफसरों ,पुलिस अफसरों, मजिस्ट्रेटो, मुखबिरो ,गवर्नरो तथा वायसराय के खिलाफ हिंसात्मक कार्रवाई की| Who founded Abhinav Bharat? अभिनव भारत- वी डी सावरकर ( विनायक दामोदर सावरकर )द्वारा 1899 में स्थापित" मित्र मेला " ही 1904 में एक गुप्त सभा मे अभिनव भारत में परिवर्तित हो गई | अभिनव भारत की शाखाएं महाराष्ट्र के अलावा कर्नाटक और मध्य प्रदेश में भी स्थापित की गई | सन् 1952 में सावरकर ने खुद इस संस्था को विसर्जित कर दिया था, उनका कहना था कि स्वतंत्रता प्राप्ति का लक्ष्य पूरा हो गया अतः इस संस्था की जरूरत नहीं है | इस संस्था को पुनः गठित 2006 में किया...

Who Is The Father Of History?

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Who Is The Father Of History? Introduction: Who is the father of history? Some say it is Herodotus, while others say it is Thucydides. Still others say it is Xenophon or Titus Livius. So, who is the father of history? Section 1: The Father of History in Ancient Times Section 1: The Father Of History In Ancient Times? The father of history i...